हेलो फ्रेंड्स मैं हु आपका दोस्त अंकित मालवीय,आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ,इस साल ओटीटी पे रिलीज़ होने वाली पहली सबसे बड़ी फिल्म "गुलाबो सिताबो " का रिव्यू,"गुलाबो सिताबो" का ट्रेलर दो हफ्ते पहले रिलीज़ किया गया था
आज 12 जून को इस फिल्म को अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ किया गया,"गुलाबो सिताबो " कहानी हैं मिर्ज़ा यानि की अमिताभ बच्चन और बाके मतलब आयुष्मान खुराना की
फिल्म मे मिर्ज़ा एक हवेली के मालिक हैं और बाके उस हवेली मे रहने वाले कई किरायेदारों में से एक हैं,मिर्ज़ाअपनी हवेली मैं अपने बाकि किरादरों के साथ ही अपनी बेगम के साथ रहते हैं,मिज़ा और बांके की एक दूसरे से ज़रा भी नहीं बनती,मिर्ज़ा कभी बाके को किराया बढ़ाने को कहते हैं,तो कभी वो हवेली बेचने की बात करते हैं,पर हवेली मिर्ज़ा के नाम नहीं हैं,वह उनकी बेगम के नाम हैं,जिसको मिर्ज़ा आपने नाम करवाना चाहते हैं,मैं आपकी फिल्म की पूरी कहानी नहीं बताउगा,क्या बाके किराया बढ़ाता हैं?क्या बाके अपने परिवार के साथ हवेली छोड़के जाता है?क्या मिर्जा हवेली अपने नाम करवा पाते हैं?क्या मिर्ज़ा हवेली बेच पाते हैं?इन सब सवालो के जवाब के लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी।
इस फिल्म की कहानी में नयापन हैं पर फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स आपको शुरू से ही बोर करना शुरू कर देते हैं,फिल्म की स्टोरी ,स्क्रीनप्ले और डॉयलोग तीनो ही जूही चतुर्वेदी ने लिखे हैं और उनकी लिखी नयी कहानी भी उनके लिए बोझिल और उबाऊ डॉयलोग्स के चलते आपको वो मज़ा नहीं देती जो ये कहानी दे सकती थी,इस फिल्म को कॉमेडी फिल्म कहकर प्रमोट किया गया पर अफ़सोस पूरी फिल्म में आपको कॉमेडी नहीं मिलती उल्टा फिल्म का लचर स्क्रीनप्ले और बेदम संवाद फिल्म को डिप्रेसिंग और उबाऊ बना देते हैं,जिससे दर्शकों के लिए ये फिल्म देखना कॉमेडी की जगह ट्रेजेडी बन जाता हैं,फिल्म का कैमरा वर्क अविक मुखोपादधया का हैं जो की अच्छा है उन्होंने लखनऊ और हवेली दोनों को खूबसूरती से अपने कैमरा मे कैद किया हैं,फिल्म के एडिटर चन्दरशेखर प्रजापति की एडिटिंग चुस्त हैं,फिल्म के आर्ट डायरेक्टर प्रदीप जाधव का काम उम्दा हैं,फिल्म मे शांतनु मोइत्रा,अभिषेक अरोरा और अनुज गर्ग का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड के हिसाब से एकदम परफेक्ट हैं,फिल्म सब गाने "बुढऊ","मदारी का बन्दर","क्या लेके आयो जगमे","दो दिन का ये मेला"हैं जो की बैकग्राउंड मे आते हैं और सभी गानों के लिरिक्स बेहद ही गहरे और अर्थपूर्ण हैं,जिनमे आपको ज़िन्दगी का सार और सच्चाई दिखती हैं ये दिनेश पंथ और विनोद दुबे की कमल का कमाल हैं,फिल्म मैं मिर्ज़ा याने की अमिताभ बच्चन का प्रोस्थेटिक मेकअप पिया ने किया हैं जो की तरीक के काबिल हैं,फिल्म मैं वीरा कपूर की कस्टमस फिल्म के किरादरों के हिसाब से बिकुल सटीक लगती हैं,अब अब करते हैं एक्टर्स की,फिल्म में मिर्जा के रोल को अमिताभ बच्चन ने जिया हैं
उनकी चाल-ढाल,आवाज़,लुक्स सबके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए वो काम हैं,हलाकि कई लोगों को उनके कहे संवाद अच्छे से सुनने में परेशानी हो सकती हैं और उनको समझने के लिए वह सबटाइटल देखेंगे,पर इसमें अमिताभ बच्चन को कोई गलती नहीं क्युकी आप अपने आस पास देखेंगे तो आपको ऐसे कई बुजुर्ग दिख जाएंगे जिनकी बात समझने में आपको परेशानी होती हैं,फिल्म मे बाके बने आयुष्मान खुराना ने भी अच्छा काम किया हैं,उन्होंने अपने संवादों में लखनऊ के लोकल लड़के की तरह बोले हैं
जो की अच्छे लगते हैं,फिल्म मे विजय राज ने पुरातत्व विभाग याने की अर्कालोजी के अफसर का किरदार बखूभी निभाया हैं,वो अपने सीन मे अच्छे लगते हैं
बिजेंद्र काला ने भी फिल्म मे वकील का रोल अच्छे से किया हैं,फिल्म में बेगम बनी फर्रुख जाफर ने भी अपना रोल अच्छे से अदा किया हैं
सृष्टि श्रीवास्तव ने बांके की बड़ी बहन के किरदार मे कमाल का अभिनय किया हैं,वही बांके की गर्ल फ्रेंड बनी फौजिया के छोटे से रोल को पूर्णिमा शर्मा ने अच्छे से निभाया हैं,आइए अब बात करते हैं फिल्म के निर्देशक सुजीत सर्कार की
सुजीत सर्कार जो की देश के बेहतरीन डायरेक्टर्स मे गिने जाते हैं इस बार उनसे चूक हो गयी
क्युकी उनकी फिल्म मे न तो हमे कहीं कॉमेडी मिलती हैं और न ही कोई इमोशन पूरी फिल्म झिलाऊ और बोझिल लगती हैं,अच्छे एक्टर्स और अच्छी कहानी को उन्होंने वेस्ट कर दिया,ये फिल्म किसी भी तबके के ऑडियंस को पसंद नहीं आएंगे,न तो ये क्लास की फिल्म हैं और न ही मास्सेस की,मैं इस फिल्म को 5 मे से 1.5 स्टार दूँगा,अगर आप अच्छी एक्टिंग और अमिताभ बच्चन को एक अलग अंदाज़ मे देखना चाहते हैं तो इस फिल्म को एक बार देखने का रिस्क ले सकते हैं,फिल्म देखकर मुझे कमेंट मैं बताये आपको ये फिल्म कैसी लगी और मुझे ये भी बताये की आपको इस फिल्म का मेरा रिव्यू कैसा लगा
मुझे आपके कमैंट्स का इंतज़ार रहे,अगर आपको मेरा "गुलाबो सिताबो " का रिव्यू पसंद आया तो आप मेरे ब्लॉग अंकित मालवीय को ,सब्सक्राइब और शेयर करना न भूले,थैंक्स अलॉट फॉर योर वैल्युएबल टाइम
अंकित मालवीय
Ankkit Malviyaa
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