
कौन है असली ‘रावण’ ?
निर्माता,निर्देशक-मणिरत्नम, स्क्रीनप्ले (पटकथा)- मणिरत्नम, संवाद- विजय कृष्णा आचार्य, कोयोग्राफी- गणेश आचार्य,बिन्द्रा, शोभन, असद देबो, एडीटर- श्रीकर प्रसाद,गीतकार- गुलजार, संगीतकार-ए आर रहमान, सनिमाटोग्राफी-संतोष सिवन, बी मणिकानदन, एक्शन-श्याम कौशल, पीटर हैन, कास्टयूम- साबयाम आची।
इस शुक्रवार जो फिल्म रिलीज हुई, वो है ‘‘रावण’’ दर्शक इस फिल्म का रिलीज होने का इन्तजार कर रहे थे उसके तीन अहम कारण थे, एक तो इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या रॉय साथ में काम कर रहे हैं, दूसरा इसके निर्देशक मणिरत्नम और तीसरा इस फिल्म में अच्छे गीत-संगीत का होना, आईए अब बात करते है,‘‘रावण’’ की यह फिल्म रामायण से प्रेरित हैं, पर वह रामायण से बहुत कुछ अलग भी हैं। एक तरफ तो फिल्म के चरित्रों में रामायण के राम (विक्रम बतौर देव प्रताप शर्मा)सीता(ऐश्वर्या राय बतौर रागिनी), हनुमान (गोविन्दा बतौर संजीवनी कुमार) लक्ष्मण (निखिल द्विवेदी बतौर हेमन्त) सुर्पनखा (प्रियमणि बतौर जमुनिया) और रावण (अभिषेक बच्चन बतौर बीरा मुडा) दिखाने की कोशिश की गई हैं, वहीं दूसरी तरह यह समझ नहीं आता कि क्या ये राम सच में राम है? या वो भी या वो ही रावण हैं, और कभी-कभी यह भी लगता है कि जिस फिल्म में रावण की तरह दिखाया गया है, उसने ऐसा क्या किया हैं कि उसे रावण की तरह दिखाया जा रहा हैं, उलटा वो तो फिल्म में कई जगह राम की तरह लगता है।
इस फिल्म की शुरूआत के 10 मिनिट बाद , फिल्म की गति धीमी हो जाती है, जिससे दर्शक बोर होने लगते हैं पर फिल्म इन्टरवल के बाद गति पकड़ती है और रोचक लगती हैं खासतौर पर फिल्म आखिरी आधे घन्टे की फिल्म में कई रोचक मोड़ आते है, पर फिल्म का कलाईमैक्स निराश करता हैं और वहीं इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है, इसका कमजोर क्लामैक्स, आईए अब बात करते इस फिल्म के कलाकारों की, फिल्म में अभिषेक बच्चन जिन्होंने बीरा का किरदार निभाया है, वह केवल कुछ ही सीन्स में अपना प्रभाव छोड़ पाते है क्योंकि वह कभी-कभी रावण कम और एक पागल की तरह लगते है, और इसमें अभिषेक से ज्यादा गलती मणिरत्नम की हैं, जो कि शायद खुद नहीं समझ पाए की वह दिखाना क्या चाहते हैं, क्योंकि उनका रावण (बीरा) खूखार नहीं गलता उल्टा यह लगता है कि यह तो एक अच्छा इन्सान हैं, वहीं फिल्म में दक्षिण भारत के सुपरस्ट्रार विक्रम का काम भी कुछ खास नहीं हैं, क्योंकि उनकी अदायगी में लाऊडनेस है, जो कि दक्षिण की फिल्म में चल सकती हैं, क्योंकि दक्षिण भारतीय दर्शक उसे पसन्द कर सकते हैं, पर हिन्दी फिल्मों में वह ओवर एक्टिंग लगती हैं और विक्रम की चाल डाल, डायलाग डिलेवरी सभी बातों दक्षिण की फिल्मों की तरह ओवर हैं, जो की हिन्दी फिल्मे के दर्शकों, को पसन्द नहीं आयेगी, फिल्म में ऐश्वर्या राय का अभिनय लाजवाब हैं और फिल्म देखकर लगता है कि ऐश्वर्या ने अपने पात्र को पूरी शिद्दत के साथ निभाया है और उन्होंने इस पात्र को निभाने के लिए कड़ी मेहनत की होगी, फिल्म के एक गीत ‘खिली रे खिली’ में नृत्य निर्देशक शोभना के निर्देशन में उन्होंने अच्छा नृत्य भी किया है और फिल्म में उनकी भी (डायलाग डिलेवरी) गजब की हैं, ऐश्वर्या इस फिल्म में बेहद खूबसूरत भी लग रही है, इस फिल्म में उनके काम की मैं जितनी भी तारीफ करू यह वह कम ही होगी, इस फिल्म में गोविन्दा ने काम क्यो किया यह मेरे समझ से परे हैं, क्योंकि उनके द्वारा निभाया गया पात्र काफी कमजोर है और गोविन्दा का अभिनय भी दमदार नहीं हैं, हो सकता हैं कि इस फिल्म के निर्देशक मणिरत्नम के कारण गोविन्दा ने यह फिल्म की हो, फिल्म में रवि किशन ने अच्छा अभिनय किया है और गणेश आचार्य के नृत्य निर्देशन में उन्होंने ‘‘कटा कटा बेचारा’’ गाने पर अच्छा डान्स भी किया है, फिल्म में अभिषेक बच्चन की बहन बनी प्रियामणि (जो कि दक्षिण फिल्मों की अभिनेत्री हैं) ने अपने छोटे से पात्र को जिय़ा हैं, फिल्म में वह कुछ देर के लिए ही दिखाई देती हैं, पर उनका अभिनय देखने लायक हैं, फिल्म में निखल द्विवेदी का काम भी अच्छा हैं,आइए अब बात करते हैं, इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म के सभी गीत गुलजार ने लिखे है और फिल्म के संगीतकार ए.आर. रहमान है और दोनों ने मिलकर फिल्म के लिए अच्छा गीत-संगीत तैयार किया है, खासतौर पर ‘‘बीरा बीरा’’,‘‘ठोक दे किल्ली’’,‘‘कटा कटा’’,‘‘बहने दे’’ जैसे गाने बेहद पसन्द किए जायेंगे। इस फिल्म के संवाद विजय कृष्ण अचार्य ने लिखे हैं, जो खास तो नहीं हैं, पर ठीक ठाक हैं, फिल्म में अभिषेक बच्चन का ‘‘ चककककककककक चकककक चका’’ और ‘‘बक बक बक बक बक ’’ जैसे तकिया कलाम दर्शकों को पसन्द आ सकते हैं। लगभग 110 करोड बजट की इस फिल्म की लोकेशन्स बेहद खूबसूरत है, और इस फिल्म की सिनेमाटोग्राफी अदभूत है, जिसके लिए में फिल्म के सिनेमाटोग्राफर संतोष सिवन और वी.मणिकन्दन की जितनी तारीफ करू, वह कम हैं।
आईए अब बात करते है, इस फिल्म के निर्देशन की, इस फिल्म के निर्देशक मणिरत्नम हैं और वह इससे पहले ‘अंजली’, ‘रोज़ा’,‘बाम्बे’ और ‘गुरू’ जैसी कुछ उम्दा और सफल हिन्दी फिल्मों का निर्देशन कर चुके है, और दक्षिण की भी कई सफल और उम्दा फिल्मों का उन्होंने निर्देशन किया हैं, दक्षिण भारत में वह एक सितारे की तरह हैं, इस दिग्गज निर्देशक की फिल्मों की दर्शक हमेशा हाथों-हाथ लेते है और समीक्षक भी सराहते हैं, उनकी पिछली सफल फिल्म ‘गुरू’ में भी अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय थे, पर ‘रावण’ देखकर मुझे अफसोस हैं, कि मणिरत्नम जैसा काबिल निर्देशक भी ऐसी बुरी फिल्म बना सकते हैं, जिसकी न तो पटकथा (जो कि मणिरत्नम ने खुद लिखी हैं) कुछ खास हैं और जिसे देखकर ये भी समझ नहीं आता कि निर्देशक क्या कहानी दिखाना चाहता हैं, मणिरत्नम् ने इस फिल्म में रामायण की अपनी तरह सेे पेश किया है, जो कि भारतीय दर्शकों को तो बिल्कुल भी नहीं पचेगी क्योंकि इस रावण में असली रावण कौन है? यह बिल्कुल भी समझ नहीं आता है और यहीं मणिरत्नम की सबसे बड़ी गलती हैं, हां अगर आज आप ऐश्वर्या राय के फैन है या आप अच्छा कैमरा वर्क और भारत की खूबसूरत लोकेशन्स को देखना चाहते हैं, तो आप इस फिल्म को देख सकते हैं।
समीक्षक- अंकित मालवीय
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