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Sunday, December 5, 2010

PHAS GAYE RE OBAMA REVIEW


"फस गए रे ओबामा"हंस गए दर्शक

निर्देशन,स्क्रीनप्ले,कहानी-सुभाष कपूर,निर्माता-अशोक पाण्डे,संगीतकार-मिनिष जे टीपू,बैकग्राउण्ड स्कोर-मनीष जे टीपू,एडिटर-संदीप सिंह बिजेली,गीतकार-शैली,गोपाल तिवारी,सिनेमाटोग्राफी-अरविन्द खन्ना,कोरियोग्राफर-सागर दास,आर्ट-गौतम सेन,कोस्ट्यूम-वीरा कपूर,गायक-कैलाश खेर,ऋचा शर्मा,मनीष जे टीपू
इस शुक्रवार जो तीन फिल्मे रिलीज़ हुई,उनमे से एक "फस गए रे ओबामा"थी,जिसमे कोई भी नामी सितारा नहीं था और इस फिल्म की लगत भी बहुँत कम(लगभग 3 करोड़)थी,और इस फिल्म का बहुँत ज़यादा प्रचार भी नहीं किया गया था,पर जिस किसी ने टीवी पर इस फिल्म के प्रोमो देखे वो सभी इस फिल्म को ज़रूर देखना चाहते होगे,खासतौर से फिल्म का "सारा प्यार हैं बेकार" गाने वाला प्रोमो तो सचमुच लाजवाब हैं और इस फिल्म का नाम भी कुछ अजीब सा हैं,जिसके कारण लगा की इस फिल्म को जरुर देखना चाहिए।122 मिनट की इस कॉमेडी फिल्म में एक एन.आर.आई(भारती मूल का अमेरिकी नागरिक)आर्थिक मंदी(रिसेशन)के कारण अमेरिका से इंडिया आता हैं और इंडिया आते ही उसको माफिया गिरोह के लोग किडनैप कर लेते हैं,इसके बाद फिल्म में कई मोड़ आते हैं,जिन्हें फिल्म में बड़े ही रोचक तरीके से दिखाया गया हैं,निर्देशक सुभाष कपूर की यह फिल्म एक सटायर(व्याग)है।इस फिल्म की कहानी बहुँत ही अलग और मजेदार भी हैं,जिसमे कई उतार-चढ़ाव और कई रोचक मोड़ आते हैं,जिन्हें देखने में दर्शको को बड़ा रोमांच महसूस होगा,इस फिल्म की काहानी इस फिल्म के निर्देशक सुभाष कपूर ने ही लिखी हैं और फिल्म देख कर लगता हैं कि उन्होंने क्या खूब कहानी लिखी हैं।इस फिल्म में भले ही कोई बड़ा सितारा नहीं हैं,पर इस फिल्म में रजत कपूर,संजय मिश्रा,अमोल गुप्ते,मनु ऋषि चंदा जैसे उम्दा अभिनेताओं ने मुख्य किरदार निभाए हैं,वही नेहा धूपिया,बिजेंद्र कला,सुमित निजावन,अमित सीअल,प्रगति पाण्डे,सुशिल पाण्डे,देवेन्द्र चौधरी,सुरेन्द्र राजन,अन्विता(बाल कलाकार),विवेक(बाल कलाकार)भी अहम् किदारो में हैं और सभी ने अच्छा काम किया हैं।फिल्म में एन.आर.आई का मुख्य किरदार निभा रहे रजत कपूर कि एक्टिंग नैचुरल लगती हैं,फिल्म में संजय मिश्रा एक गैंगस्टर कि भूमिका में हैं उनका अभिनय भी कमल का हैं और वो फिल्म के बहुँत से सीन्स में आपको हँसाएगे भी,मनु ऋषि चन्द्र ने फिल्म में अन्नी के किरदार को बखूबी निभाया हैं और पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में बिजेंद्र कला का अभिनय भी देखेने लायक हैं,उनकी डायलॉग डेलिवरी और बॉडी लैंग्वेज काबिलेतारीफ हैं,फिल्म में अमोल गुप्ते भ्रष्टा मंत्री के रोल में जचते हैं और नेहा धूपिया ने भी फिमेल गब्बर मुन्नी गैंगस्टर के रोल में गजब कि एक्टिंग कि हैं,नेहा उस किरदार को निभाते हुए भी खूबसूरत लगती हैं।"फस गए रे ओबामा"के गीत-संगीत की बात कि जाये तो इस फिल्म का संगीत,संगीतकार मनीष जे टीपू ने दिया हैं जो की इस फिल्म की कहानी और उसके हालात पर जचता हैं और फिल्म के कई दृश्यो में अहम् भूमिका निभाता हैं ।वैसे तो पूरी फिल्म में एक भी गाना नहीं हैं पर जब फिल्म खत्म होती हैं तब फिल्म के एनरोल टाईटल के साथ "सारा प्यार हैं बेकार" गाने को दिखाया जाता हैं,इस गाने के बोल और म्यूजिक दोनों ही अच्छे हैं,इस गाने को शैली,गोपाल तिवारी ने लिखा हैं,मेरे हिसाब से इस गाने को फिल्म के अन्दर बीच में कही रखा जा सकता था,उससे इस गाने को दर्शक पूरा देख पाते,क्योंकि ये गाना फिल्म के खत्म होने पर फिल्म के एनरोल टाईटल के साथ रखा गया हैं ऐसे में दर्शक इस गाने को पूरा नहीं देख पाते क्योंकि ज़यादातर सिनेमाहाल वाले फिल्म के खत्म होते ही इस गाने को थोडा सा ही दिखने के बाद बंद कर देते हैं,क्योंकि उन्हें आगले शो को दिखने की जल्दी तैयारी करनी होती हैं,जिसके कारण दर्शको को ये कमल का गाना पूरा देखने नहीं मिलता।इस फिल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद(डायलॉग)भी उम्दा हैं जिसके कारण ये पूरी फिल्म दर्शको को रोमांचित करती हैं और बानधकर भी रखती हैं।इस फिल्म में कई मजेदार सीक्वेंस हैं,जैसे वो जिसमे संजय मिश्रा रजत को समझते हैं की उन्होंने रजत को किडनैप क्यों किया हैं,वो सीन जिसमे संजय रजत को डिस्काउंट ऑफर करते हैं,एक सीन में पुलिस वाला अपने जूनियर को मंत्री की मालिश करने को कहता हैं,वो द्रश्य जहा फिमेल गब्बर सिंह करीना,दीपिका,रानी,प्रीटी,माधुरी(ये सब फिमेल गब्बर सिंह की चमची लडकियों के हैं)को पुलिस इंस्पेक्टर को मरने को कहती हैं,वो सीन जहा ये दिखाया गया हैं की पैसे वाला समझकर किडनैपर रजत की खूब सेवा करते हैं उसको मटन,चिक्न खिलते हैं और खुद प्याज रोटी खता हैं,पर जब उन्हें पता चलता हैं की वो कंगाल हैं तो उसके सामने प्याज रोटी रख देते हैं,वो सीन भी जिसमे दिखाया गया हैं की किस तरह मंत्री के यहाँ भी किसी दूसरी ऑफिस की तरह ही फिरोती वसूलने और फिर बंदी को छोड़ने का काम किया जाता हैं,ये सब सीन और एक से बढ़कर एक सीक्वेंस दर्शको को इस फिल्म में ज़रूर पसंद आयेगे,इस फिल्म के डायलॉग भी अच्छे हैं जैसे "हमने आपको किडनैप किया हैं आप प्लीज़ कोपरेट करे","कुत्ते की दम और आदमी की अक्ल हमेशा उलटी रहती हैं",""तेरा अंडरवर्ल्ड तो अमेरिका के कॉर्पोरेटवर्ल्ड से जादा इमानदार हैं","एक साल की वार्रेंट्री हैं कोई किडनैप करे तो रसीद दिखा देना","इंटरनेशनल पार्टी को फार्म हाउस में रखते हैं","मंत्री जी ने आपको पहले ही कम रेट लगाये हैं","बबासीर वाला मंत्र" यह सभी और फिल्म के दुसरे सभी संवाद भी फिल्म की कहानी के हिसाब से बहुँत उम्दा लिखे गए हैं,इस फिल्म के कुछ डायलॉग में गालियों का इस्तेमाल किया गया हैं,पर फिल्म में उन गालियों को ज़बरदस्ती नहीं ठूसा गया,इस फिल्म में गालिया होना इस फिल्म की कहानी की डिमांड थी,क्योंकी ये फिल्म गैंगस्टर पर भी हैं और असल ज़िन्दगी में भी अपराधी प्रवर्ती के लोग बिना गाली-गलोच के बात नहीं करते।इन अपशब्दों(गाली-गालोच)के कारण ही सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को A(यानि की एडलट)सटीफीकेट दिया हैं।इस फिल्म की शूटिंग भारत में की गयी हैं।इस फिल्म के निर्देशक सुभाष कपूर की बतौर निर्देशक ये दूसरी फिल्म हैं,इससे पहले2007में उनकी फिल्म"से सालम इंडिया "रिलीज़ हुयी थी।सुभाष कपूर ने "फस गए रे ओबामा" का निर्देशन किया हैं और इस फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले भी उन्होंने ही लिखा हैं,एक और जहा सुभाष ने "फस गए रे ओबामा" के लिए नई और रोचक कहानी लिखी हैं वही उनका लिखा स्क्रीनप्ले भी बेहद दमदार हैं और बतौर निर्देशक भी उन्होंने सराहनीय काम किया हैं और आपनी फिल्म के सभी कलाकारों और बाकि अन्य सदस्यओ(फिल्म की पूरी टीम)से भी अच्छा काम करवाया हैं,"फस गए रे ओबामा"जैसी उम्दा और सार्थक फिल्म बनाने के लिए सुभाष कपूर और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र हैं।"फस गए रे ओबामा"जैसी फिल्मे खासतौर से बड़े शहर के मल्टीप्लेक्स के दर्शको को खूब पसंद आएगी ,सिंगलस्क्रीन और छोटे शहर के दर्शको को शायद ये फिल्म उतनी पसंद न आये क्योंकि वो विशुध रूप से नाच-गाने वाली फिल्मे देखना चहाते हैं,पर उनको भी "फस गए रे ओबामा" जैसी उम्दा फिल्म को ज़रूर देखना चाहिए,क्योंकि यह फिल्म स्वस्थ,सार्थक मनोरंजक फिल्म हैं।

RATING:-3n1/2 stars out of 5stars

समीक्षक-अंकित मालवीय
Email id-ankkitmalviyaa@gmail.com
after reading this review plz post ur valuable commets,thx alot,GOD BLESS

Sunday, September 12, 2010

DABANGG REVIEW


‘‘किसी से नहीं दबेगा-दबंग’’
निर्देशक-अभिनव सिंग कश्यप, निर्माता-अरबाज खान, मलाइका अरोरा खान, धिलिन मेहता, लेखक-दिलीप शुक्ला, अभिनव सिंग कश्यप, एक्शन-एस. विजयन, एडिटर-प्रनव वी. धीवर, संगीतकार-साजिद-वाजिद, ललित पंडित, सिनेमेटोग्राफी-महेश लिमये, गीतकार-फैज़ अनवर, जलीस शेरवानी, ललित पंडित, गीत निर्देशक-फरहा खान, गणेश आचार्य, चिन्नी प्रकाश, राधिका राव, विनय सप्रू, कोरियोग्राफर-राजू खान, मुदस्सर खान, कोस्ट्यूम डिज़ाइनर-अलवेरा अग्निहोत्री खान, एशली रिबेलो, बैग्राउण्ड स्कोर-संदीप शिरोडकर,
इस शुक्रवार इस साल की सबसे चर्चित और बहुप्रतिक्षित फिल्म "दबंग" रिलीज हुई, मुझे याद है, जिस दिन टैलीविजन पर लोगों ने "दबंग" का पहला प्रोमो देखा था उसी दिन से इस फिल्म के रिलीज़ का इंतजार कर रहे थे, और टी.वी. पर जैसे-जैसे "दबंग" के एक के बाद एक सभी प्रोमो आए, वैसे-वैसे ही दर्शकों की इस फिल्म के प्रति उत्सुकता बढ़ती गई क्योंकि इस फिल्म के प्रोमो का जादू सभी पर खूब असर कर रहा था, और इसलिए लोगों को इस फिल्म से काफी उम्मीदें भी थी, और मुझे भी इस फिल्म के प्रोमोज़ को देखकर सत् प्रतिशत लग गया था कि यह एक कम्पलीट एंटरटेनिंग फिल्म होगी और मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि यह फिल्म सभी दर्शकों की उम्मीद पर खरी उतरी और जैसा मैंने सोचा था कि यह फिल्म एक कम्पलीट इंटरटेनर होगी जिसमें खूब एक्शन, उमदा गाने, अच्छे संवाद, इमोशनल सीन्स, अच्छा डांस, रोमेन्टिक सीन्स और सभी कलाकारों का बेहतरीन अभिनय देखने को मिलेगा, वो सभी मुझे इस फिल्म में देखने को मिला। यह फिल्म एक सम्पूर्ण मसाला फिल्म है, हालाकि "दबंग" की कहानी में कुछ खास नयापन नहीं है, पर जिस अंदाज में फिल्म को बनाया गया है, वो बिल्कुल अलग और नया है, जिसका जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोलेगा, मुझे इस बात का पूरा यकीन है, कि इस फिल्म में सलमान खान फिल्म के एक्शन दृश्य और इस फिल्म के गीत-संगीत और डांस के लिए हर कोई इस फिल्म को बार-बार देखना चाहेगा। "दबंग" में सभी चीजें लार्जर दैन लाइफ हैं और यही बात इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है, क्योंकि फिल्म तो लार्जर दैन लाइफ ही होती है,"दबंग" की कहानी चुलबुल पाण्डे की कहानी है, चुलबुल एक पुलिस ऑफिसर है जिसका दिल बेहद बड़ा है, वह अपनी माँ के काफी करीब है पर उसकी अपने सौतेले पिता और सौतेले भाई से नहीं पटती, वो बुरे लोगों के साथ बहुत बुरा है, और जो लोग जरूरतमंद हैं, उनकी वो मदद भी करता है। चुलबुल पाण्डे कुछ-कुछ रोबिन हुड की तरह है।"दबंग" में चुलबुल पाण्डे का किरदार सलमान खान ने निभाया है और इस फिल्म को देखकर लगता है कि यह किरदार सिर्फ और सिर्फ सलमान खान ही कर सकते थे, अगर कोई और अभिनेता इस पात्र को अदा करता, तो वह इस पात्र और इस फिल्म के साथ नाइंसाफी होती। सलमान खान ने फिल्म में चुलबुल पाण्डे के पात्र को जिया है, उनकी चाल-ढ़ाल, उनकी संवादअदाएगी (डायलॉग डिलेवरी), उनका लुक, उनका डांस, उनका स्टाइल, सब कुछ लाजबाव है। फिल्म देखकर लगता है कि चुलबुल पाण्डे का किरदार फिल्म के लेखक ने सलमान खान को ध्यान में रखकर ही लिखा होगा, चुलबुल पाण्डे मतलब केवल सलमान खान ही हो सकता है। सलमान खान ने इस फिल्म में एक ओर जहाँ खूब एक से बढ़कर एक एक्शन सीन्स किए हैं, वहीं उनकी फिल्म की हीरोइन सोनाक्षी सिन्हा को पटाने की अदाऐं भी निराली है, वो मारधाड़ के दृश्यों में भी मोबाइल टोन सुनकर डांस करने लगता है जिससे आप हंसने पर मजबूर हो जाएंगे। वहीं फिल्म में कई ऐसे इमोशनल सीन्स भी हैं जहां आपकी आंखों से आंसू छलक जाएंगे, तो दूसरी ओर आप सलमान के डांस स्टैप्स देखकर खुद भी नांचने लगेंगे, फिल्म में सलमान के डायलॉग भी आपकी जुबान पर चढ़ जाएंगे, ‘‘जैसे कमीनी से याद आया’’, ‘‘जैसे हरामजादे से याद आया’’ इन संवादों की तरह ही इस फिल्म के बहुत से डायलॉग कमाल के हैं, और सलमान खान ने उन्हें अपनी स्टाइल में बोलकर उन संवादों में चार चांद लगा दिए। वैसे तो इस पूरी फिल्म में सलमान खान ने कहीं भी अपनी कमीज़ नहीं उतारी है, पर अगर सलमान खान की फिल्म हो और वो बिना शर्ट के न दिखे तो उनके चाहने वालों को मजा नहीं आता और इस फिल्म के क्लाइमेक्स सीन में सलमान बिना शर्ट के गजब के लगते हैं। यह सीन आपके दिलोदिमाग पर बस जाएगा। फिल्म में सलमान के अभिनय को देखकर आप भी मान जाएंगे कि "दबंग" तो सलमान खान ही हैं। इस फिल्म में सलमान के अभिनय की मैं जितनी तारीफ करूं वह कम ही होगी, यह सलमान खान की फिछली फिल्मों से एकदम अलहदा (अलग) है और सलमान की अभी तक की परफोरमेन्स में एक और बहतरीन परफोरमेन्स है, इसके लिए वह कई अवॉर्डों के हकदार हैं। इस फिल्म की हीरोइन सोनाक्षी सिन्हा (अभिनेता शत्रुधन सिन्हा की सुपुत्री) की यह पहली फिल्म हैं पर पर्दे पर उन्हें देखकर नहीं लगता कि यह उनकी पहली फिल्म होगी, क्योंकि उनका कॉन्फिडेन्स लेवल गज़ब का है, उनके संवाद कम और उनकी आँखें ज्यादा बोलती हैं, फिल्म में सोनाक्षी बेहद खूबसूरत भी लगती हैं, फिल्म के अन्य किरदारों की बात करें तो फिल्म के खलनायक सोनू सूद का अभिनय कमाल का है, वहीं डिंपल कपाड़िया और विनोद खन्ना ने भी लाजबाव अभिनय किया है। फिल्म में अरबाज खान, अनुपम खेर, महेश मांजरेकर, माही गिल और ओम पुरी सभी ने अपने-अपने पात्र को अच्छी तरह से निभाया है। "दबंग" का गीत-संगीत भी शानदार है, फिल्म के सभी गानें "तेरे मस्त मस्त दो नैन","मुन्नी बदनाम","चोरी किया रे","हमका पीनी है" और "दबंग-दबंग" सभी एक से बढ़कर एक और एक दूसरे से जुदा हैं, फिल्म के संगीतकार साजिद-वाजिद ने फिल्म के लिए मधुर धुने तैयार की हैं जो सबको झूमने पर मजबूर करेंगी। वहीं फिल्म के गीत तीन गीतकार फैज अनवर, जलीस शेरवानी और ललित पंडित ने लिखे हैं,"तेरे मस्त मस्त दो नैन" फैज अनवर ने लिखा है जिसे राहत फतह अली खान ने बेहद उमदा गाया है और इस गीत के बोल सुनकर लगता है कि फैज अनवर ने क्या खूब गीत लिखा है, फैज अनवर के मस्त मस्त ये बोल सबके दिल का चैन ले लेते हैं, वहीं फिल्म का एक गाना "मुन्नी बदनाम" ललित पंडित ने लिखा और इसका संगीत भी उन्हीं ने तैयार किया हैं। यह गाना भी हर जगह अपना जादू चला रहा है, और युवा पीढ़ी भी इस गाने की दिवानी हो गई हैं। फिल्म के अन्य सभी गीत जलीस शेरवानी ने लिखे हैं, उनके गीत " चोरी किया रे" को सोनू निगम और श्रेया घोशाल ने बेहद सुरीले अंदाज में गया है और इस गाने के बोल भी बेहद रोमांटिक हैं, जलीश शेरवानी के लिखे "हमका पीनी है" और "दबंग-दबंग" गीत भी आपको भा जाएंगे, इस फिल्म का बैग्राउण्ड स्कोर संदीप शिरोडकर ने तैयार किया है, और उनका बैग्राउण्ड स्कोर अच्छा है, बिल्कुल फिल्म के मूड़ के हिसाब से हैं। इस फिल्म में आपको एक से बढ़कर एक डांस स्टैप्स देखने को मिलेंगे खासतौर से सालमान खान के डांस स्टैप्स और "मुन्नी बदनाम" में मलाइका अरोरा खान के बहतरीन डांस स्टैप्स जिसे इस गाने की सौंग और डांस डायरेक्टर फरहा खान ने बखूबी किया है, और मलाइका अरोरा खान ने भी इस गाने के लिये कड़ी मेहनत की है जो कि पर्दे पर उनके गाने में दिखती है। इस फिल्म में एस. विजयन का एक्शन है और उन्होंने इस फिल्म के लिए क्या कमाल एक्शन दृश्य रचे हैं और उन्हें बखूबी सलमान खान और बाकी कलाकारों से करवाया भी है। इस फिल्म में एस. विजयन का रचा एक्शन देखकर चकित रह जाएंगे और दांतो तले उंगली दबा लेंगे। इस फिल्म का एक्शन देखकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी, इस फिल्म में ऐसे एक्शन सीन्स हैं।"दबंग" में महेश लिम्ये की सिनेमेटोग्राफी भी काफी अच्छी है, फिल्म के लेखक दिलीप शुक्ला और अभिनव सिंह कश्यप ने फिल्म के लिये बेहद उमदा स्क्रीनप्ले, डायलॉग, और एक से बढ़कर एक जुमले और तकियाकलाम लिखे हैं, जो सबकी जुबान पर चढ़ जाएंगे। इस फिल्म के एक सीन में चुलबुल पाण्डे (सलमान खान) एक पुलिस वाले को गुटखा न खाने को कहता है, वहीं एक दूसरे सीन में वो पल्स पोलियो की दो बंद की बात भी करता है यह बेहद अच्छी बात है कि फिल्म के जरिए सलमान खान ने लोगों को बेहद अहम संदेश देने की कोशिश की है। सलमान ने अपनी फिल्म"वॉन्टेड" में भी गुटका न खाने का मैसेज दिया था, यह एक सराहनीय बात है कि इंटरटेनमेन्ट के साथ-साथ फिल्म दर्शकों को कुछ बेहद अहम संदेश भी दिये जाऐं। इस फिल्म की अवधी दो घंटे पांच मिनिट हैं पर यह फिल्म कहीं भी झिलाऊ नहीं लगती क्योंकि इसका स्क्रीनप्ले अच्छा है और इस फिल्म के एडीटर प्रनव वी. धीवर ने फिल्म् की एडीटिंग भी काफी चुस्त-दुरूस्त की हैं। लगभग 45 करोड़ लागत की इस फिल्म के लिये अलविरा अग्निहोत्री खान और एशली रिबिलो के तैयार किये गये कॉस्ट्यूम्स भी आपको पसंद आएंगे। इस फिल्म के निर्देशक अभिनव सिंग कश्यप की यह पहली फिल्म हैं, और उनके सधे हुये निर्देशन के कारण ही यह फिल्म इतनी शानदार बनी हैं। अभिनव ने "दबंग" को एक सम्पूर्ण मसाला फिल्म बनाया है जिसे सभी वर्ग के दर्शक जरूर पसंद करेंगे। इस फिल्म को आप अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। आपको यह फिल्म बेहद भा जाएगी, ऐसा मेरा विश्वास है, ऐसी बेहतरीन मसाला फिल्म बनाने के लिए अभिनव सिंग कश्यप, सलमान खान, अरबाज खान और इस फिल्म से जुड़े सभी लोग बधाई के पात्र हैं।

समीक्षक-अंकित मालवीय
E-mail ID: ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, August 14, 2010

"PEEPLI LIVE" REVIEW


लाइवली फिल्म है‘‘पीपली लाइव’’
निर्देशक,लेखक,स्क्रीनप्ले,संवाद-अनुषा रिजवी, निर्माता-आमिर खान प्रोडक्शन
गीतकार-संजीव शर्मा,स्वानन्द किरकिरे,ब्रिज मण्डल बढ़वई,नून मीम राशिद,गंगाराम, संगीतकार-इण्डियन ओशन, ब्रिज मण्डल बढ़वई, नगीन तनवरी,राम समपत कास्टिंग डायरेक्टर-महमूद फारूकी, सिनेमाटोग्राफी-शंकर रमन, एडीटर-हेमन्ती सरकार,एक्शन-जावेद एजाज़
इस शुक्रवार ‘‘पीपली लाइव’’ रिलिज हुई,दर्शकों को इस फिल्म का इन्तजार था,क्योंकि इस फिल्म के निर्माता आमिर खान है और इस फिल्म के प्रोमो भी लाजबाव है और इस फिल्म का सब्जेक्ट भी नयापन लिये हुए हैं, और यह आम मसाला हिन्दी फिल्मों से कुछ अलग है,दर्शकों को इस फिल्म से काफी उम्मीद थी और यह फिल्म सभी दर्शकों की उम्मीद पर पूरी तरह खरी भी उतरती है,‘‘पीपली लाइव’’ की कहानी किसानों की आत्महत्याओं,मीडिया,राजनीति पर व्यंग है,फिल्म की कहानी किसानों,मीडिया और राजनीति के इर्द-गिर्द रची गयी हैं,जिसमें किसानों,मीडिया और राजनीति से जुड़े लोगों की जिन्दगी को काफी करीब से मनोरंजक ढ़ंग से दिखाया गया है। लगभग 10 करोड़ में बनी इस फिल्म की शूटिंग मध्य प्रदेश के बढ़वई नामक गाँव में की गयी है। इस फिल्म के मुख्य किरदार नत्था (ओमकारदास माणिकपुरी) की यह पहली फिल्म है,ओमकारदास स्व. हबीब तनवीर के नया थियेटर कम्पनी से हैं,उनके अलावा अन्य कई रंगकर्मियों ने भी इस फिल्म में अभिनय किया है,इस फिल्म के कलाकारों ने फिल्म में गजब का अभिनय किया है,रघुवीर यादव,ओमकारदास माणिकपुरी,फारूक जफर,शालीनी वत्स,मल्लिका शिनोए,नवाजुद्दीन सिद्धकी,विशाल ओ. शर्मा,नशरूद्दीन शाह,युगल किशोर और सीताराम पांचाल इन सभी ने फिल्म में अपने किरदारों को जिया है। फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जिन्हें देखकर आप हंस-हंस कर लोट-पोट हो जाऐंगे (खास तौर से वह दृश्य जिसमें फारूख जफर हैं) फारूख जफर ने फिल्म में नत्था की माँ का किरदार अदा किया है,इस फिल्म में सभी कालाकारों का अभिनय एक से बढ़कर एक और काबिलेतारीफ है। खासतौर से रघुवीर यादव (बुधिया),ओमकारदास माणिकपुरी (नत्था),शालिनी वत्स(धनिया),फारूख जफर (नत्था की माँ),विशाल ओ. शर्मा (हिन्दी चैनल का रिपोर्टर) के बहतरीन अभिनय के कारण आप इस फिल्म को कई बार देखना चाहेंगे। इस फिल्म का गीत संगीत भी कमाल का है, और उसमें आपको अपनी जमीन और अपनी मिट्टी की खुशबू मिलती हैं जिसमें गाँव से जुड़े लोकगीत भी हैं,वैसे तो इस फिल्म के सभी गीत उम्दा हैं पर ‘‘मंहगाई डायन’’ और ‘‘देश मेरा रंगेरेज ये बाबू’’ सभी वर्ग के दर्शकों को काफी पसंद आऐंगे। इस फिल्म की कहानी संवाद और स्क्रीनप्ले काफी दमदार है। हालाकि कुछ लोगों को यह खटकेगा कि इस फिल्म में बहुत सारी जगह संवादों में अपशब्दों (गालियों) का इस्तेमाल किया गया है,पर मेरे हिसाब से फिल्म के डायलाॅग्स में गालियों का इस्तेमाल करना इस फिल्म की कहानी की मांग थी,क्योंकि असल जीवन में भी कई लोग हैं,जो जब भी परेशान होते हैं तो वह अपना गुस्सा अभिव्यक्त करने के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते हैं,पर मुझे लगता है इस फिल्म में अपशब्दों का ज्यादा ही इस्तेमाल किया गया है,और फिल्म के कई सीन्स देखकर लगता है कि इन दृश्यों में अपशब्दों को जबरदस्ती बोला गया हैं क्योंकि उन दृश्यों में अपशब्द बोलना उन दृश्यों की मांग नहीं हैं,वह सीन्स बिना गालियों के भी हो सकते थे। फिल्म में अपशब्द होने के कारण ही इस फिल्म को सैंसर बोर्ड ने । (एडल्ट) सर्टिफिकेट दिया है। इस फिल्म में शंकर रमन का कैमरा वर्क अच्छा है और फिल्म की एडिटर हेमन्ती सरकार की कसी हुई ऐडिटिंग के कारण फिल्म दर्शकों को पूरे समय बांधकर रखती है,इस फिल्म के कोडायरेक्टर और कास्टिंग डायरेक्टर महमूद रिजवी ने इस फिल्म के लिये बिल्कुल सही ऐक्टर्स की कास्टिंग की है। ‘‘पीपली लाइव’’ की निर्देशक अनुषा रिजवी की बतौर निर्देशन की पहली फिल्म है,इस फिल्म का स्क्रीनप्ले,कहानी और संवाद भी अनुषा के लिखे हुए हैं। अनुषा रिजवी,खुद एक पत्रकार हैं और इसलिये फिल्म में किसानों,राजनीतिज्ञों और पत्रकारों की जिंदगी और चेनालों की टीआरपी की लड़ाई को वह इतने सटीक तरीके से पर्दे पर पेश करने में सफल हुई हैं। फिल्म में अनुषा का स्क्रीनप्ले देखने लायक हैं। उनके संवाद,कहानी और निर्देशन इतना अद्भुद है कि आप इस फिल्म को बार-बार देखना चाहेंगे। मुझे ‘‘पीपली लाइव’’ देखकर लगता है कि यह फिल्म अगर कोई और निर्देशक निर्देशित करता तो फिर शायद यह फिल्म और इतनी लाइवली नहीं होती,इस ‘‘पीपली लाइव’’ को लाइवली बनाने का श्रेय इसकी निर्देशक अनुषा रिजवी और उनकी पूरी टीम को जाता है,अनुषा ने फिल्म के सभी कलाकारों और उनकी टीम के अन्य सदस्यों से कमाल का काम करवाया है,अनुषा और उनकी पूरी टीम ने मिलकर ‘‘पीपली लाइव’’ को एक लाइवली फिल्म बनाया है,जिसके लिये अनुषा रिजवी और उनकी पूरी टीम सचमुच बधाई की पात्र हैं।

समीक्षक-अंकित मालवीय
Email ID : ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, August 7, 2010

AISHA REVIEW


आशाओं पर खरी नहीं उतरती यह फिल्म ‘‘आयशा’’
निर्देशक - राजश्री ओझा, निर्माता - अनिल कपूर, अजय बिजली, संजीव के बिजली, रिया कपूर, गीतकार - जावेद अख्तर, संगीतकार - अमित त्रिवेदी, बैकग्राऊड स्कोर - अमित त्रिवेदी सिनेमेटोग्राफी - डिगो रोडरिक्स, एडिटर - श्रीकर प्रसाद, स्क्रीनप्ले-देविका भगत, डायलाग-देविका भगत, मनु रिषी, रितु भाटिया, कास्टयूम - परनिया कुरैशी, कुनाल रावत, प्रोमो-निलेश नायक।
इस शुक्रवार ‘‘आयशा’’ रिलिज हुई, सोनम कपूर और अभय देओल स्टारर ‘‘आयशा’’ के प्रोमो युवाओं को काफी पसन्द आ रहे थे, मुझे अफसोस हैं कि ‘‘आयशा’’ दृश्कों की आशाओं पर खरी नहीं उतरती, ‘‘आयशा’’ की कहानी जेन आॅस्टिन के उपन्यास (नावेल) एम्मा से प्ररित है, ये युवाओं की कहानी, जो एक लड़की ‘‘आयशा’’ (फिल्म में सोनम) और उसके दोस्तो के इर्द गिर्द चलती है, इस फिल्म में सोनम कपूर और अभय देओल के साथ अमृता पूरी, ईरा दुबे, सायरस साहूकर, अरूाणओदय सिंह, एम.के. रैना और लिसा हायडन ने भी अभिनय किया है, पर फिल्म में केवल अमृता पूरी का अभिनय ही दमदार है, उन्होंने अपने पात्र को जिया है और वह फिल्म के हर सीन में कमाल का अभिनय करते हुए दिखाई देती है, यह सच-मूच काबिले तारीफ है क्योंकि यह अमृता पूरी की पहली फिल्म है, उनके अलावा किसी के भी अभिनय में कोई खास दम नहीं हैं, फिल्म की मुख्य कलाकार सोनम कपूर का अभिनय भी बेदम है, फिल्म में अभय देओल जैसे उम्दा अभिनेता ने क्यों अभिनय किया यह मेरी समझ से परे है, क्योंकि फिल्म में अभय ने जिस पात्र को अदा किया है उसे ठीक तरीके से लिखा ही नहीं गया है, इसलिए अभय भी कुछ कमाल नहीं कर पाए, हो सकता है कि अनिल कपूर (जानेमाने अभिनेता और इस फिल्म के निर्माता) के होम प्रोडक्शन की फिल्म होने के कारण अभय ने दोस्ती का रिश्ता निभाने के लिए यह फिल्म कर ली हो, पर उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वह एक उम्दा अभिनेता है, जो हमेशा अपनीं फिल्मों का चयन सोच समझकर करते हैं। आईए अब बात करते हैं ‘‘आयशा’’ के गीत संगीत की, ‘‘आयशा’’ के गीतकार जावेद अख्तर हैं उनके लिखा गीत ‘‘गल मीठी मीठी बोल’’ के बोल के तो क्या कहने जावेद अख्तर के इस गीत के बोल कमाल के हैं, और संगीतकार अमित त्रिवेदी है, इस फिल्म का गीत-संगीत ठीक-ठाक हैं, फिल्म में गीतकार अमित त्रिवेदी जिन्होंने इससे पहले ‘‘देव डी (2009)’’ में अच्छा संगीत दिया था, और इस फिल्म में भी युवाओं को उनके गीता पसन्द आएगे, खासतौर से इस फिल्म के तीन गीत ‘‘आयशा’’, ‘‘गल मीठी मीठी बोल’’, ‘‘बाॅय द वे’’ युवाओं की जुबान पर चड़ जाएगें। आईए अब बात करते हैं इस फिल्म के अन्य पहलूओं पर, ‘‘आयशा’’ का स्क्रीनप्ले बहुत ही कमजोर है जिसके कारण यह फिल्म बहुत ही धीमी और बोरिंग भी लगती हैं, फिल्म की एडिटींग भी ठीक से नहीं हुई है, फिल्म के संवादों में भी कोई खास दम नहीं है, इस फिल्म में अमित त्रिवेदी ने अच्छा बैग्राउंड म्यूजिक दिया है पर इस फिल्म के एक कमजोरी यह भी है कि फिल्म के बहुत से दृश्यों में ब्रैकग्राउड म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं किया गया हैं, जिसके कारण दर्शक उन सीन्स से जुड़ नहीं पाते, क्योंकि फिल्म में बैकग्राउड म्युजिक खाने में नमक की तरह ही होता है, जिस तरह बिना नमक के खाना बेस्वाद लगती है, उसी तरह बिना ब्रैग्राउड म्युजिक के फिल्म के दृश्यों में कोई जान नहीं रह जाती है, पर फिल्म के सिनेमोटोग्राफर डिगो रोडरिक्स का कैमरा वर्क अच्छा है, और फिल्म में परनिया कुरैशी और कुनाल रावत के कास्टयूक्स भी लाजवाब है। आईए अब बात करते हैं इस फिल्म के निर्देशन की, निर्देशक राजश्री ओझा की यह पहली फिल्म है, इस फिल्म की निर्देशक राजश्री ओझा के कमजोर निर्देशन के कारण ही न तो अभिनेताओं ने अच्छा अभिनय किया और फिल्म की कहानी को भी वह सही ढ़ग से पेश नहीं कर सकी जिसके कारण यह फिल्म झिलाऊ लगती है, इस फिल्म में अगर कुछ देखने लायक है तो वह खूबसूरत सोनम कपूर उनकी खूबसूरत पोशाके, अमृता पूरी का उम्दा अभिनय, अच्छा कैमरा वर्क और कुछ अच्छे गाने, जिनके लिए आप इस फिल्म को देख सकते हैं।
समीक्षक - अंकित मालवीय
Email ID: ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, July 31, 2010

ONCE UPON A TIME IN MUMBAAI REVIEW


निर्देशक-मिलन लुथरिया,निर्माता-एकता कपूर,शोभा कपूर,कहानी,संवाद, स्क्रीनप्ल-रंजत अरोरा,एडीटर-अविक अली,कला निर्देशक-नितिन चन्द्रकांत देसाई, एक्शन-अब्बास अली,कोरियोग्राफी-राजू खान,सिनेमाटोग्राफी-असीम मिश्रा, संगीतकार-प्रीतम,गीतकार-ईरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य ,निलेश मिश्रा

इस शुक्रवार ‘‘ वंस अपाॅन ए टाइम इन मुम्बई ’’ रिलीज हुई, यह फिल्म मुम्बई अण्डरवल्र्ड, अपराध ओैर स्मगलिंग(तस्करी) के विकास (ग्रोथ) को दर्शाती है,70के दशक में मुम्बई में किस तरह अपराध जगत पनपा यह इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म की कहानी हाजी मस्तान, और दाऊद इब्राहिम(यह दोनों अपराधी 70-80 के दशक में मुम्बई अण्डरवल्र्ड का अहम् हिस्सा थे)इन दोनेां की जिन्दगी से प्रेरित है। लगभग 2 धण्टे 10 मिनट अवधि की यह फिल्म मुम्बई अण्डरवल्र्ड और उससे जुड़े हुए लोगों पर बनी अब तक की सभी फिल्मो ंसे जुदा है और सबसे बेहतर फिल्मों में से हेै, क्योंकि इस फिल्म में न तो ज्यादा मारपीट होती है और न ही ज्यादा गोली बारूद का इस्तेमाल किया गया, अपराध जगत और उससे जुडे होने के बावजूद भी इस फिल्म में न तो कोई अपशब्दों(गाली गलौच)का इस्तेमाल किया गया, और न ही कोई द्विअर्थी संवाद(डबल मिनिंग डायलाॅग)का,यह फिल्म अण्डरवल्र्ड औेर उससे जुड़े लोगों पर बनी है, फिर भी इसमें कोई अंतरंग दृश्य नहीं है, यह भी इस फिल्म की खासियत है।आइए अब बात करते है इस फिल्म के कलाकारों की,अजय देवगन,ईमरान हाशमी,कंगना राणावत,प्राची देशाई, और रणदीप हुडा, इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहें है, इनके अलावा अवतार गिल,आसिफ बसरा, गौहर खान,एमी किंग्स्टन,मास्टर हर्बी क्रेस्टो,ंमास्टर नमित दाहिया,भी फिल्म के अन्य किरदारों में है। इस फिल्म में अजय देवगन ने लाजबाव अभिनय किया, फिल्म में अजय की चाल ढाल उनकी आंखे, उनकी पूरी बाॅडी लैग्वेज, उनकी संवाद अदायगी,(डायलाॅग डिलेवरी)उनका लुक,सब कुछ परफेक्ट उस पत्र के हिसाब से है जिसे वह इस फिल्म में निभा रहें है, फिल्म मे अजय ने अपने पात्र को जिया है ओर फिल्म देखकर लगता हे कि फिल्म के लेखक ने इस पात्र को अजय देवगन को ध्यान मे ंरखकर ही लिखा है, ओैर अजय ने उस पात्र के साथ पूरा न्याय भी किया है,फिल्म में अजय को देखकर लगता है कि अगर कोई ओर अभिनेता इस पात्र को निभाता तो वह उसे उतनी शिद्वत्त के साथ नहीं निभा पाता जो कि अजय ने निभाया है इस फिल्म में अजय के अभिनय के लिए मैं उनकी जितनी भी तारीफ करू वह कम ही होगी, क्योंकि फिल्म में अजय ने अद्भूत अभिनय किया है,फिल्म मे ंईमरान हाशमी का अभिनय ठीक-ठाक है, कंगना रानावत और प्राची देसाई दोनों ने फिल्म में अच्छा अभिनय किया है, कगना फिल्म में 70-80 के दशक की अभिनेत्री बनी है, और वह उस किरदार में जचती है फिल्म में रणदीप हुड्डा एक एर्गी पुलिस आफिसर के रोल में है, ओर यह उनकी अब तक आई फिल्में में से यह उनकी एक सर्वश्रेष्ठ परमारमेन्स है उन्होनें इस फिल्म में अच्छा अभिनय किया है, फिल्म के अन्य कलाकारों में अवतार गिल(गृह मंत्री के पात्र में)आसिफ बसरा(ईमरान हाशमी के पुलिस इंस्पेक्टर पिता के पात्र में),मास्टर हर्बी (अजय देवन के बचपन के पात्र में),मास्टर नमित दाहिया(इमरान हाशमी के बचपन के पत्र में) ने फिल्म में उम्दा अभिनय किया है। आईये अब बात करते है इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म में पाॅच गाने है,फिल्म में प्रीतम का संगीत है, फिल्म के गीत ईरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य, निलेश मिश्रा,ने लिखे है। इस फिल्म का गीत संगीत ठीक ठाक है पर फिल्म का एक गीत ‘‘ पी लू ‘‘ जिसे ईरशाद कामिल ने बेहद उमदा लिखा है और मोहित चोैहान ने उसे उतने ही सुरले अंदाज में गाया भी है, युवाओं की जुवान पर चढ़ जाएगा,70-80 के दशक पर बनी इस फिल्म का बे्रकग्राउण्ड स्कोर संदीप शिरोडकर ने तैयार किया है ओैर फिल्म में उनका बैकग्राउण्ड म्युजिक हमें उस दशक के संगीत की याद दिलाता है, फिल्म के सेट नितिन चन्द्रकान्त देसाई के है और उन्होनें बखूबी उन्हें तैयार किया है, जिसके कारण आपको लगेगा कि यह फिल्म 70-80 के दशक में बनी फिल्म होने का एहसास कराती है,फिल्म के सिनेमाग्राफर असिम मिश्रा का कैमरावर्क तारिफे काबिल है,इस फिल्म के एडिटर आविक अली ने कमाल की एडिटिंग की है, जिसके कारण फिल्म कभी भी बोरिंग नहीं लगती,इस फिल्म का स्क्रीनप्ले,सटोरी और संवाद रंजत अरोरा के है, ओर रंजत के बड़िया स्क्रीनप्ले के कारण ही यह पूरी फिल्म आपको बाधकर रखती है और उस 70-80 के दशक में ले जाती है, फिल्म के संवाद भी रजत ने लिखे है, और फिल्म के सभी संवाद एक से बढ़कर एक है, और उन्होंने सभी संवाद फिल्म के किरदार के हिसाब से एकदम सटीक लिखे है, जैसे अजय के किरदार का संवाद ’’ दुआ में याद रखना ’’ आइए अब बात करते है इस फिल्म के निर्देशक मिलन लथुरिया की, यह मिलन की छटवी फिल्म है, इससे पहले वह ‘‘ कच्चे धागे ’’ (1999), ‘‘ दीवार ’’(2004), ‘‘ टैक्सी नम्बर नौ दो ग्यारह’’ ’’ (2006) जैसी उम्दा और सफल फिल्में का निर्देशन कर चुके है, और यह फिल्म उनकी अब तक निर्देशित फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ फिल्म है ओर उन्होनें इस फिल्म को बनाने के लिए इस फिल्म के लेखक और पठकथ लेखक ( स्क्रीनप्ले राइटर) रजत अरोरा, के साथ 70-80 के दशक और अंडरवल्र्ड का गहरा अध्ययन ( रिसर्च ) किया होगा, यह बात फिल्म देखकर कहीं जा सकती है, इस फिल्म के कास्टयूम डिजाइनर, मैकपमैन, हेयर ड्रेसर, केैमरा मैन, स्क्रीनप्ले ,स्टोरी, डायलाग राईटर, एडीटर, सभी ने मिलन के उम्दा निर्देशन के कारण ही उम्दा काम किया है, और इसीलिए यह एक अच्छी और साफ सुथरी फिल्म बनी है जिसे हर वर्ग के दर्शक अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते है।
समीक्षक-अंकित मालवीय
Email id-ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, July 17, 2010

LAMHAA REVIEW


''लम्हा का हर लम्हा छूता है ''

निर्देशक-राहुल ढोलकिया,निर्माता-बंटी वलिया,जसप्रीतसिंग वालिया,स्क्रीनप्ले-राघव धर,राहुल ढोलकिया,संवाद-साई कबीर,अश्वत भट्‌ट,गीतकार-सईद कादरी,संगीतकार-मिथुन,बैकग्राउण्ड म्युजिक-सन्जाय चौधरी,सिनेमाटोग्राफर-जेमस,एडीटर-अश्मित कुन्दर,अक्षय मोहन।

इस शुक्रवार तीन फिल्मे '' लम्हा '','' तेरे बिन लादेन '' और '' उड़ान '' रिलीज हुई, इन तीनों फिल्मों में से मुझे किसी एक फिल्म को चुनना था, तो मैने ''लम्हा'' को चुना,क्योंकि इसके निर्देशक राहुल ढोलकिया है,क्योंकि वह ''लम्हा '' से पहले ''परजानिया ''(2005)जैसी उम्दा फिल्म का निर्देशन कर चुके है, इसलिए मुझे उनके द्वारा निर्देशित फिल्म '' लम्हा '' से काफी उम्मीद थी, ओंर यह फिल्म मेरी उम्मीदों पर खरी भी उतरी, आइए अब बात करते है ''लम्हा '' की,'' लम्हा'' कश्मीर की, वहां के लोगों की, वहां की राजनीति की,अफसरों की (सेना के अफसर)और आतंकवादियों की, कहानी है जिसमें कश्मीर में क्या क्या घटi और क्या घट रहा है, बडे ही करीब से दिखाया गया, फिल्म कश्मीर घाटी की सच्चाई बयां करती है''लम्हा''।'' लम्हा '' में संजय दत्त ने अपने पात्र को बखूबी निभाया है, बिपाशा बासु ने फिल्म में गजब का अभिनय किया है और फिल्म में कुनाल कपूर का अभिनय भी सराहनीय है, इनके अलावा अनुपम खेर, शेरनाज, पटेल यशपाल, शर्मा, विपिन शर्मा, विश्वजीत प्रधान, मुरली शर्मा, महेश मानजरेकर और ज्योति ने भी फिल्म में अहम किरदार निभाया है, और सभी कलाकारों का अभिनय अच्छा है, '' लम्हा '' की सबसे बडी खासियत है इस फिल्म के दमदार संवाद, इस फिल्म के सभी संवाद (डायलाग्स ) एक से बढकर एक है,सांई कबीर और अश्वत भटट ( फिल्म के संवाद लेखक ) की मैं उनके द्वारा लिखे संवादों के लिए जितनी भी तारीफ करू वह कम ही होगी, फिल्म का गीत संगीत भी कमाल का है, और फिल्म के सभी गीत फिल्म की कहानी का हिस्सा है जो कि आपके दिल को छूते है, इस फिल्म के गीत सईद कादरी ने लिखे है और उनकी कलम में कमाल का जादू है, वैसे तो फिल्म के सभी गीतों के बोल अच्छे है पर सईद कादरी द्वारा लिखा '' मदनो '' जिसे क्षितिज और चिन्मयी ने बेहद सुरीले अंदाज में गाया है, आपको सबसे ज्यादा पसंद आएगा, इस फिल्म में मिथुन ने बेहद उम्दा संगीत दिया है, फिल्म का बैकग्राउण्ड म्युजिक जो कि सनजाय चौधरी ने दिया हैं अच्छा बन पडा है, इस फिल्म में कश्मीर की खूबसूरत वादिया, आपको जरूर पसंद आयेगी, क्योंकि फिल्म के सिनेमाटोग्राफर(जेम्स) ने कश्मीर घाटी को बेहद खूबसूरती के साथ फिल्माया है फिल्म का गीत '' मदनों '' देखकर आप उसमे खो जायेगे, इस फिल्म का स्क्रीनप्ले भी अच्छा है इस फिल्म को देखकर कहा जा सकता है कि इस फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया, और उनकी टीम ने इस फिल्म को बनाने से पहले कश्मीर घाटी और उससे जुडे सभी पहलुओं का गहरा अध्ययन (रिसर्च) किया होगा इस फिल्म के बेहतरीन संवाद, अच्छे गीत, संगीत, लाजबाव सिनेमाटोग्राफी और सभी कलाकारों की अच्छी अदायगी इस सब बातों का श्रेय फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया को जाता है, क्योंकि उनके उम्दा निर्देशन के कारण ही यह फिल्म इतनी उम्दा और सार्थक बनी है ।'' लम्हा '' कश्मीर पर अब तक बनी सभी फिल्मों में सबसे अलग और सबसे बेहतरीन और सार्थक फिल्मों में से एक है फिल्म है।मेरी आप सभी से गुजारिश है कि आप इस फिल्म को जरूर देखें क्योंकि '' लम्हा '' का हर लम्हा आपको छू जायेगा,ऐसा मेरा विश्वास है।

समीक्षक-अंकित मालवीय
e-mail id-ankkitmalviyaa@gmail.com

Friday, July 9, 2010

MILENGE MILENGE REVIEW


‘‘ मिलेंगे-मिलेंगे‘‘ को दर्शक तो नहीं मिलेंगे।
निर्माता-बोनी कपूर, निर्देशक-सतीश कौशिक, संगीतकार-हिमेश रेशमिया, सिनेमाटोग्राफी-एस.श्री राम, लेखक- शिराज़ अहमद, गीतकार-समीर, एडीटर-संजय शर्मा
इस शुक्रवार जो फिल्म ‘मिलेंगे मिलेंगे‘ रिलीज हुई, दर्शकों को इस फिल्म के रिलीज होने का इन्तज़ार था, और वह इन्तज़ार इसलिए नहीं था कि उन्हें इस फिल्म के प्रोमो पसन्द आए, बल्कि इसलिए था क्योंकि यह शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म है, और इससे पहले फिल्म ‘‘जब वी मेट‘‘ (2007) में दर्शकों ने इनकी जोड़ी और काम को बेहद पसन्द किया था। वैसे तो शाहिद और करीना ने ‘‘फिदा‘‘ (2004), ‘‘36 चाईना टाउन‘‘ (2005), ‘‘चुप-चुप के‘‘ (2006) जैसी फिल्मों में एक साथ काम किया, पर दर्शकों ने इनकी जोड़ी को सबसे ज़्यादा ‘‘जब वी मेट‘‘ के लिए ही सराहा, और उस समय यह दोनों रियल लाईफ (असल ज़िन्दगी) में भी एक दूसरे से प्यार करते थे, और उनके अलग होने के कुछ साल बाद अब रिलीज़ हुई उनकी यह फिल्म ‘‘मिलेंगे-मिलेंगे‘‘। वैसे तो यह फिल्म उस समय बनी जब इन दोनों (शाहिद-करीना) का प्रेम अपने चरम पर था पर कई कारणों से इस फिल्म को रिलीज़ होने में लगभग छः साल लग गए, आज ये दोनों (शाहिद-करीना) अलग हो चुके हैं, और आगे यह कभी साथ में फिल्म करेंगे या नहीं यह बात किसी को नहीं पता (शायद इनको भी नहीं पता होगा) इसलिए भी दर्शक इनकी जोड़ी को देखने के लिए इस फिल्म को देखना चाहते थे। आईए अब बात करते हैं इस फिल्म की , ‘‘मिलेंगे-मिलेंगे‘‘ एक लव स्टोरी है, जिसकी स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलाग्स में कोई भी नयापन नहीं है। यह फिल्म हालीवुड फिल्म ‘‘सिरेडीपिटी‘‘ का रिमेक है और इस तरह की कहानी, संवाद हम पहले भी कई हिन्दी फिल्मों में देख चुके हैं। यह फिल्म लगभग 2004 से बन रही है, अगर यह सही समय पर बनकर रिलीज़ होती तो यह शाहिद करीना की पहली फिल्म होती, आइए अब बात करते हैं इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म के गीतकार हिमेश रेशमिया हैं, और फिल्म के गीत समीर ने लिखे हैं, पर फिल्म के गीत और संगीत दोनों में ही दम नहीं है। शाहिद कपूर और करीना कूपर की इस फिल्म में न तो शाहिद के अभिनय में दम है और न करीना के अभिनय में, दोनों को देखकर लगता है कि यह इनकी उस समय की फिल्म है, जब उन्हें अभिनय करना ठीक से आता ही नहीं था (वैसे यह फिल्म उस वक्त ही बनी थी)। इनके अलावा किरण खेर, सतीश कौशिक, सतीश शाह, डेल्नाज़ पाल, हेमन्त पान्डे, विजय कश्यप और तनाज़ ईरानी ने भी इस फिल्म में अभिनय किया है, पर फिल्म में सतीश कौशिक (जो कि इस फिल्म के निर्देशक भी हैं) ने कमाल का अभिनय किया है, बतौर सेल्समेन विजय कश्यप ने भी उम्दा अभिनय किया है, हेमन्त पान्डे ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया है, तनाज़ ईरानी फिल्म के कुछ ही सीन्स में है, पर उनका काम अच्छा है। आईए अब बात करते है इस फिल्म के निर्देशन की इस फिल्म के निर्देशक सतीश कौशिक इससे पहले भी ‘‘हम आपके दिल में रहते हैं‘‘, ‘‘हमारा दिल आपके पास है‘‘, ‘‘मुझे कुछ कहना है‘‘ और ‘‘तेरे नाम‘‘ जैसी कुछ उम्दा और सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं, पर उनकी इस फिल्म में कुछ भी दम नहीं है, कहानी, अभिनय, गीत-संगीत और निर्देशन हर लिहाज़ से यह एक बेहद कमजोर फिल्म है। इसलिए मुझे नहीं लगता की ‘‘कुछ तो बाकी है‘‘ और मेरे हिसाब से ‘‘मिलेंगे-मिलेेंगे‘‘ को दर्शक मिलेंगे इस बात की मुझे तो ज़रा भी उम्मीद नहीं है, पर अगर आज शाहिद और करीना को साथ में देखना चाहते हैं, तो इस फिल्म को देख सकते हैं।


समीक्षक-अंकित मालवीय
E-mail ID: ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, July 3, 2010

I HATE LUV STROYS REVIEW


बिना स्टोरी की फिल्म है ‘‘आइ हेट लव स्टोरीज़’’
लेखक, निर्देशक - पुनीत मल्होत्रा, निर्माता - हीरू जौहर, करण जौहर, रोनी स्क्रूवाला, सिनेमाटोग्राफी - अन्यका बोस, संगीतकार- विशाल शेखर गीतकार -अन्विता दत्त, कुमा,र विशाल डडलानी, एडीटर - अविक अली, कोरियोग्राफी - बास्को-सीज़र, कास्टयूम - मनीष मल्होत्रा
इस शुक्रवार आइ हेट लव स्टोरीज ‘‘ रिलीज हुई, इस फिल्म के प्रोमो बहुत अच्छे थे, ओर यही कारण है कि दर्शक ( खासतौर से युवा वर्ग ) इस फिल्म को देखने के लिए बैचेन थे, इमरान खान, और सोनम कपूर अभीनीत इस फिल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा है, इससे पहले उन्होनें ‘‘ कभी खुशी कभी गम ’’ (2001ं) ‘‘ कल हो न हो ’’ (2003ं) जैसी उम्दा और सफल फिल्मों में करण जौहर के साथ बतौर करण जौहर के सहायक काम किया है। ‘‘ आइ हेट लव स्टोरीज़ ’’ एक रोमांटिक फिल्म है, जिसमें आपको कई पुरानी सफल रोमांटिक फिल्मों की झलक दिखेगी। इस फिल्म में कई पुरानी सफल रोमांटिक फिल्मों के दृश्यों और उन्हे बनाने वालों का मजा़क भी उड़ाया गया है और उसकी मदद से काॅमेडी पैदा करने की कोशिश की गई है, पर फिल्म के कुछ ही सीन्स जहां पुरानी रोमांटिक फिल्मों ओर उनको बनाने वालों का मजाक उड़ाकर कामेडी क्रिएट करने की कोशिश की गई है, हंसी आती है, पर ऐसे सभी दृश्यों ,पर हंसने का मन नहीं करता है, इस फिल्म की कहानी में कोई भी नयापन नहीं है। हम सब यह कहानी पहले भी कई फिल्मों में देख चुके है, फिल्म का स्क्रीन प्ले भी काफी कमजोर है। जिसके कारण दर्शक बीच बीच में बोर होने लगते हेै। सभी सफल रोमांटिक फिल्मों को उनके डाॅयलाक्स के लिए याद किया जाता है पर इस फिल्म में ऐसा कोई भी संवाद (डायलाॅग) नहीं है जो कि दर्शकों की जुबान पर चढ़ जाए। इस फिल्म के संवादों मे कोई भी दम नहीं है, रोमांटिक फिल्मों की खासियत होती है उनके दमदार इमोश्नल सीन्स, इस फिल्म में कई इमोश्नल सीन्स तो है, पर वह बेहद कमजोर है ओर उनमें इमोश्नस की कमी है, जिसके कारण उन्हें देखकर दर्शकों के मन मंें भी कोई भावना (इमोश्न ) पैदा नहीं होती है, क्योकि अच्छे इमोश्नल दृश्यों को देखकर तो उन्हें देखने वाले भी उनसे जुड जाते है और उनकी आंखे नम हो जाया करती है, पर इस फिल्म के इमोश्न दृश्यों मे वो ताकत नहीं है कि दर्शकों के आसू छलक जाए, आईए बात करते है इस फिल्म के गीत संगीत की। इस फिल्म में कुल 5 गाने हेै जिन्हें अंन्विता दत्ता, कुमार और विशाल डडलानी ने लिखा है ओैर फिल्म में विशाल-शेखर का संगीत है, ’’ जब मिला तू ’’, ‘‘ बिन तेरे ’’, ‘‘ आई हेट लव स्टोरीज ’’, सदका ’’, ‘‘बहारा ’’ फिल्म के इन सभी गीतों के बोल उमदा है और संगीत भी अच्छा है, इस फिल्म के एक गीत ‘‘ बहारा ’’ को श्रेया घोषाल ने गाया है, ओर उन्होनें इस गीत को कमाल का गाया है, उनकी आवाज में गाया गया यह गाना मिश्री के रस की तरह है ओैर यह श्रेया का ही जादू है कि यह गीत उनकी मिश्री की तरह मीठी आवाज के कारण बहुत अच्छा लगता है, इस फिल्म के कोयोग्राफर बाॅस्को सीजर ने फिल्म के टाईटल साग ‘‘ आइ हेट लव स्टोरीज ’’ को अच्छी तरह कोरियोग्राफ किया है, इस गाने के डान्स स्टेप्स युवाओं के जरूर पसंद आएगे, आईए, अब बात करते है इस फिल्म के कलाकारों की, इस फिल्म में इमरान खान और सोनम कपूर मुख्य भूमिका में है, ओैर दोनों की जोड़ी अच्छी लगती है, इमरान ने फिल्म में कुछ दृश्यों में अच्छा अभिनय किया है। पर फिल्म के कुछ सीन्स में वे नकली एक्टिंग और ओवर एक्टिंग करते है। सोनम कपूर ने अच्छा अभिनय किया है, ओैर फिल्म में वह इमरान से बेहतर लगती हेै। फिल्म के बाकी कलाकारों, समीर दत्तानी, समीर सोनी, केविन देव, खुशबू, श्राफ, ब्रुना अब्दुल्ला , केतकी देव, अन्जु महेन्दू, शिरिष शर्मा, असीम तिवारी, आमिर अली ओैर पूजा घई है, इनमें से समीर दत्तानी ठीक-ठाक लगते है, समीन सोनी ने फिल्म में एक फिल्म निर्देशक ( जो कि करण जौहर और संजय लीला भंसाली की तरह लगता है, ) का किरदार बडे ही उमदा तरीके से निभागया हेै। फिल्म में आमिर अली ( जो कि एक स्टार बने है ) का भी काम अच्छा है, केविन देव ने फिल्म में इमरान खान के दोस्त के पात्र को बखूबी निभाया है । आइए अब बात करते है फिल्म के निर्देशन की , इस फिल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है जिसे उन्होने ही लिखा है, इस फिल्म की कहानी कमजोर है, स्क्रीन प्ले भी दमदार नहीं है। पुनीत का निर्देशन भी कमजोर हेै, जिसके सभी पहलुओं का जिक्र मेंै ऊपर कर ही चुका हूॅ, वैसे तो, ‘‘आइ हेट लव स्टोरीज़’’ एक बेहद ही कमजोर फिल्म है, इसलिए दर्शक इसे पसंद करें इस बात की उम्मीद कम ही है, पर अगर आप इमरान खाॅन और सोनम कपूर की खूबसूरत जोडी ओैर अच्छे गीत संगीत को देखना चाहते है तो आप इस फिल्म को देख सकते हेै।
समीक्षक - अंकित मालवीय
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plz post ur comment abut this review n film,thanks,god bless,bye

Saturday, June 19, 2010

RAAVAN REVIEW


कौन है असली ‘रावण’ ?
निर्माता,निर्देशक-मणिरत्नम, स्क्रीनप्ले (पटकथा)- मणिरत्नम, संवाद- विजय कृष्णा आचार्य, कोयोग्राफी- गणेश आचार्य,बिन्द्रा, शोभन, असद देबो, एडीटर- श्रीकर प्रसाद,गीतकार- गुलजार, संगीतकार-ए आर रहमान, सनिमाटोग्राफी-संतोष सिवन, बी मणिकानदन, एक्शन-श्याम कौशल, पीटर हैन, कास्टयूम- साबयाम आची।
इस शुक्रवार जो फिल्म रिलीज हुई, वो है ‘‘रावण’’ दर्शक इस फिल्म का रिलीज होने का इन्तजार कर रहे थे उसके तीन अहम कारण थे, एक तो इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या रॉय साथ में काम कर रहे हैं, दूसरा इसके निर्देशक मणिरत्नम और तीसरा इस फिल्म में अच्छे गीत-संगीत का होना, आईए अब बात करते है,‘‘रावण’’ की यह फिल्म रामायण से प्रेरित हैं, पर वह रामायण से बहुत कुछ अलग भी हैं। एक तरफ तो फिल्म के चरित्रों में रामायण के राम (विक्रम बतौर देव प्रताप शर्मा)सीता(ऐश्वर्या राय बतौर रागिनी), हनुमान (गोविन्दा बतौर संजीवनी कुमार) लक्ष्मण (निखिल द्विवेदी बतौर हेमन्त) सुर्पनखा (प्रियमणि बतौर जमुनिया) और रावण (अभिषेक बच्चन बतौर बीरा मुडा) दिखाने की कोशिश की गई हैं, वहीं दूसरी तरह यह समझ नहीं आता कि क्या ये राम सच में राम है? या वो भी या वो ही रावण हैं, और कभी-कभी यह भी लगता है कि जिस फिल्म में रावण की तरह दिखाया गया है, उसने ऐसा क्या किया हैं कि उसे रावण की तरह दिखाया जा रहा हैं, उलटा वो तो फिल्म में कई जगह राम की तरह लगता है।
इस फिल्म की शुरूआत के 10 मिनिट बाद , फिल्म की गति धीमी हो जाती है, जिससे दर्शक बोर होने लगते हैं पर फिल्म इन्टरवल के बाद गति पकड़ती है और रोचक लगती हैं खासतौर पर फिल्म आखिरी आधे घन्टे की फिल्म में कई रोचक मोड़ आते है, पर फिल्म का कलाईमैक्स निराश करता हैं और वहीं इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है, इसका कमजोर क्लामैक्स, आईए अब बात करते इस फिल्म के कलाकारों की, फिल्म में अभिषेक बच्चन जिन्होंने बीरा का किरदार निभाया है, वह केवल कुछ ही सीन्स में अपना प्रभाव छोड़ पाते है क्योंकि वह कभी-कभी रावण कम और एक पागल की तरह लगते है, और इसमें अभिषेक से ज्यादा गलती मणिरत्नम की हैं, जो कि शायद खुद नहीं समझ पाए की वह दिखाना क्या चाहते हैं, क्योंकि उनका रावण (बीरा) खूखार नहीं गलता उल्टा यह लगता है कि यह तो एक अच्छा इन्सान हैं, वहीं फिल्म में दक्षिण भारत के सुपरस्ट्रार विक्रम का काम भी कुछ खास नहीं हैं, क्योंकि उनकी अदायगी में लाऊडनेस है, जो कि दक्षिण की फिल्म में चल सकती हैं, क्योंकि दक्षिण भारतीय दर्शक उसे पसन्द कर सकते हैं, पर हिन्दी फिल्मों में वह ओवर एक्टिंग लगती हैं और विक्रम की चाल डाल, डायलाग डिलेवरी सभी बातों दक्षिण की फिल्मों की तरह ओवर हैं, जो की हिन्दी फिल्मे के दर्शकों, को पसन्द नहीं आयेगी, फिल्म में ऐश्वर्या राय का अभिनय लाजवाब हैं और फिल्म देखकर लगता है कि ऐश्वर्या ने अपने पात्र को पूरी शिद्दत के साथ निभाया है और उन्होंने इस पात्र को निभाने के लिए कड़ी मेहनत की होगी, फिल्म के एक गीत ‘खिली रे खिली’ में नृत्य निर्देशक शोभना के निर्देशन में उन्होंने अच्छा नृत्य भी किया है और फिल्म में उनकी भी (डायलाग डिलेवरी) गजब की हैं, ऐश्वर्या इस फिल्म में बेहद खूबसूरत भी लग रही है, इस फिल्म में उनके काम की मैं जितनी भी तारीफ करू यह वह कम ही होगी, इस फिल्म में गोविन्दा ने काम क्यो किया यह मेरे समझ से परे हैं, क्योंकि उनके द्वारा निभाया गया पात्र काफी कमजोर है और गोविन्दा का अभिनय भी दमदार नहीं हैं, हो सकता हैं कि इस फिल्म के निर्देशक मणिरत्नम के कारण गोविन्दा ने यह फिल्म की हो, फिल्म में रवि किशन ने अच्छा अभिनय किया है और गणेश आचार्य के नृत्य निर्देशन में उन्होंने ‘‘कटा कटा बेचारा’’ गाने पर अच्छा डान्स भी किया है, फिल्म में अभिषेक बच्चन की बहन बनी प्रियामणि (जो कि दक्षिण फिल्मों की अभिनेत्री हैं) ने अपने छोटे से पात्र को जिय़ा हैं, फिल्म में वह कुछ देर के लिए ही दिखाई देती हैं, पर उनका अभिनय देखने लायक हैं, फिल्म में निखल द्विवेदी का काम भी अच्छा हैं,आइए अब बात करते हैं, इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म के सभी गीत गुलजार ने लिखे है और फिल्म के संगीतकार ए.आर. रहमान है और दोनों ने मिलकर फिल्म के लिए अच्छा गीत-संगीत तैयार किया है, खासतौर पर ‘‘बीरा बीरा’’,‘‘ठोक दे किल्ली’’,‘‘कटा कटा’’,‘‘बहने दे’’ जैसे गाने बेहद पसन्द किए जायेंगे। इस फिल्म के संवाद विजय कृष्ण अचार्य ने लिखे हैं, जो खास तो नहीं हैं, पर ठीक ठाक हैं, फिल्म में अभिषेक बच्चन का ‘‘ चककककककककक चकककक चका’’ और ‘‘बक बक बक बक बक ’’ जैसे तकिया कलाम दर्शकों को पसन्द आ सकते हैं। लगभग 110 करोड बजट की इस फिल्म की लोकेशन्स बेहद खूबसूरत है, और इस फिल्म की सिनेमाटोग्राफी अदभूत है, जिसके लिए में फिल्म के सिनेमाटोग्राफर संतोष सिवन और वी.मणिकन्दन की जितनी तारीफ करू, वह कम हैं।
आईए अब बात करते है, इस फिल्म के निर्देशन की, इस फिल्म के निर्देशक मणिरत्नम हैं और वह इससे पहले ‘अंजली’, ‘रोज़ा’,‘बाम्बे’ और ‘गुरू’ जैसी कुछ उम्दा और सफल हिन्दी फिल्मों का निर्देशन कर चुके है, और दक्षिण की भी कई सफल और उम्दा फिल्मों का उन्होंने निर्देशन किया हैं, दक्षिण भारत में वह एक सितारे की तरह हैं, इस दिग्गज निर्देशक की फिल्मों की दर्शक हमेशा हाथों-हाथ लेते है और समीक्षक भी सराहते हैं, उनकी पिछली सफल फिल्म ‘गुरू’ में भी अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय थे, पर ‘रावण’ देखकर मुझे अफसोस हैं, कि मणिरत्नम जैसा काबिल निर्देशक भी ऐसी बुरी फिल्म बना सकते हैं, जिसकी न तो पटकथा (जो कि मणिरत्नम ने खुद लिखी हैं) कुछ खास हैं और जिसे देखकर ये भी समझ नहीं आता कि निर्देशक क्या कहानी दिखाना चाहता हैं, मणिरत्नम् ने इस फिल्म में रामायण की अपनी तरह सेे पेश किया है, जो कि भारतीय दर्शकों को तो बिल्कुल भी नहीं पचेगी क्योंकि इस रावण में असली रावण कौन है? यह बिल्कुल भी समझ नहीं आता है और यहीं मणिरत्नम की सबसे बड़ी गलती हैं, हां अगर आज आप ऐश्वर्या राय के फैन है या आप अच्छा कैमरा वर्क और भारत की खूबसूरत लोकेशन्स को देखना चाहते हैं, तो आप इस फिल्म को देख सकते हैं।
समीक्षक- अंकित मालवीय
e-mail-ankkitmalviyaa@gmail.com

Sunday, June 6, 2010

RAAJNEETI REVIEW


Everyone will not like this "Raajneeti"


Directed by Prakash Jha
Produced by Prakash Jha
Ronnie Screwvala
Screenplay
Anjum Rajabali
Prakash Jha
Story
Prakash Jha
Cinematography Sachin Krishn
Editing by Santosh Mandal
This friday,multistarer film raajneeti was released,i watch it on the same it first day first show,it was one of this years most awaited film,major reason behind this was its casting,it summed up many stars and fine actors together,even its direction is also done be a well known director thts prakash jha,now i will tell u abut its story,raajneeti storyline is greatly influenced by mahabharat and also influenced by hollywood film godfather,the film displayed how people play different different games for position and power,the lenght of the film is around 2hrs45min which starts in a very cumbersome manner and the viwers were unable to understand its start,its also diffcult to understand the releationship between the characters of the film(many be bcoz so many characters r there in the film)this film is quiet streched and thts why the audiance got bored somewhere in between the film,its dialouges r written by its director prakash jha,i dont understand why he has used pure n typicall hindi dialougs in the film,bcoz audiance are unable to understand them(specially the youth)neither the story required such usage,if prakash jha use normal hindi which is used in our day today life,thn it would have been easier for viewers to understand,in a scene mother is saying to his son"tum mere jyestha putra ho"i am failing to decipher the reason behin such usage of dialouges which r diffcult to be understood by each n every catagory of audiance,its story line is also confusing in some of its parts,although film possesses many emotional scenes,but they r not strong enough,they cnt touch ur heart,instead some viwers were laughing on these scenes as these scenes are poorly directed and inacted,raajneetis screenplay is written by prakash jha and anjum rajabali and it can be clearly concluded tht they did deep research and study abut abut the subject of film(thts politics,real politics)prakash jha himself knows alot about polities as he himself fought in election,thts the reason why he is able to understand abut politices frm so close,in the film scenes with crowd r very finely potrayed n about 10000ppl have been part of crowd scenes,so scenes r portrayed to bemore relastic,here jha can create this crowd with help of computer technology,but he cnt did tht n thts good thing,in this film songs r played for few moments with different different scenes so some of viewers in cinema hall r saying"gaana kaat liya"but they dnt know tht its not the mistake of cinema hall employees,the approx budget of this film is around 70croresn 95% of the film is shooted in beautiful locations of bhopal,many local bhopal theatre actors also acted in the film,now lets talk about its start cast as u know manoj bajpai,ajay devgn,nana patekar,ranbir kapoor,arjun rampal,katrina kaif,nassiruddin shah n sara played different imp characters in the film,most of them play gray shade characters in the film n all of they r superb in the film,manoj bajpai is so good in the film he acted so finely i cnt even express how brillantely he performes,ajay davgn is also good,arjun rampal is also mindblowing,ranbir kapoor also acts well even he proved tht he can play any type of role easily,katrina kaif has also acted so well i must tell u tht she word hard for his long hindi dialouges(she did prepration for tht)she looks beautiful in sari,nana patekar has done good acting but his character was not coming much his fans miss tht nana patekar who shouts in his film n for which his fans know him for his different dialouge delivery style,nasiruddin shah role is so short i cnt understand why he did tht bcoz its there in the film only in few scenes,apart frm all these chetan pandit,shruti seth n kiran karmakar also performed so wll,costume designer priyanka mondal also did a good job,now lets talk abut its direction,prakash jha who is the director of this film also directed the films like damul,gangajal,apharan(all these film r well made films n they r also successfull at the box office)but its sad tht this time prakash jha fails in directing a good film,bcoz this film is so long,it have typicall hindi dialougs,and in emotional scenes there r lack of emotions,there r also few hot scenes in the film which r not required in the film,after watching this film i think tht jha wants to make a complete commercial masala film,thts why he added all such thing in this film,but i think tht masses audiance cant appricate this film,if u wanna watch a different film thn u cn watch itor if u want to see what ppl r diong in real politics thn also u cn watch it,or u cn also watch this film for good performance by its actors.plz post ur comments after reading this review,u cn also sne me mail on my id:ankkitmalviyaa@gmail.com

Thursday, May 27, 2010

KITES REVIEW


ऊँंची ऊड़ान भरने लायक नहीं हैं ‘‘काईट्स’’

निर्देशक - अनुराग बासु, निर्माता, कहानी - राकेश रोशन
स्क्रीनप्ले - अनुराग बासु, राबिन भट्ट, आकाश खुराना
संगीतकार - राजेश रोशन, सिनेमाटोग्राफी - अयन्का बोस
गीतकार - नासिर फराज़, आसिफ अली बेग
एडीटर - अविक अली

इस शुक्रवार इस साल की सबसे बहुप्रतीर्शित फिल्म ‘‘काईट्स’’ रिलीज हुई। काईट्स को विश्व भर की 2300 स्क्रीन में रिलीज किया गया। जिसमें से 1800 भारतीय और 500 विदेशी स्क्रीन पर इसे रिलीज किया गया। काईट्स आम हिन्दी फिल्मों से थोड़ी छोटी है इसके हिन्दी वर्जन जो कि (भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है) कुल अवधि लगभग 130 मिनीट है और इसका अंग्रेजी वर्जन 90 मिनिट का है। ‘‘काईट्स’’ पर सभी की नजरे टिकी थी और सभी को इस फिल्म से काफी उम्मीद थी, पर अफसोस कि यह फिल्म उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है, इसका सबसे बड़ा कारण है, इसकी कमजोर कहानी, इसका स्क्रीनप्ले भी काफी कमजोर है, फिल्म के संवादों में भी कोई खास दम नहीं है और इन्हीं सब खामियों के कारण इस फिल्म के निर्देशन पर फर्क पड़ता है, क्योंकि जब फिल्म की आत्मा (कहानी, स्क्रीनप्ले, संवाद) में ही दम नहीं तो फिल्म के
निर्देशक अनुराग बासु अच्छी फिल्म कैसे बनाते, इस फिल्म के संवाद अंग्रेजी, स्पेनिश और हिन्दी में है, पर ज्यादातर डाॅयलाग्स अंग्रेजी और स्पेनिश में है जो कि इस फिल्म की एक सबसे बड़ी खामी है, क्योंकि हमारे देश में बहुत से लोगों को अंगे्रजी भाषा नहीं आती और स्पेनिश तो हमारे देश में बोली भी नहीं जाती है। काईट्स में रितिक रोशन और बारबरा मोरी ने मुख्य किरदार निभाया है, कबीर बेदी, कंगना रानाउन, निक ब्राउन और यारी सूरी भी अह्म भूमिकाओं में है। फिल्म में रितिक रोशन और बारबरा मोरी दोनों ने कमाल का अभिनय किया है और दोंनो बेहद खूबसूरत लगते हैं, जैसा कि हम सब जानते हैं कि रितिक रोशन एक लाजवाब डांसर है, और इस फिल्म में भी रितिक रोशन का डांस देखने लायक है, उन्होंने फिल्म में बेहद कठिन डांस को भी बेहद उम्दा ढंग से किया है। फिल्म में निक ब्राउन (नए कलाकार) ने अच्छा काम किया है। फिल्म में कंगना रानाउत का रोल बहुत छोटा सा है और उनके करने के लिए फिल्म में कुछ खास नहीं है, फिल्म में कबीर बेदी और यारी सूरी का काम ठीक-ठाक है। अब बात करते हैं ‘‘काईट्स’’ के गीत संगीत की, इस फिल्म के संगीतकार राजेश रोशन ने युवाओं को ध्यान में रखकर मधुर संगीत रचा है, जो कि फिल्म के रिलीज के पहले से ही लोकप्रिय हो चुका है, ‘‘काईट्स’’ के गीत नासिर फराज़ और आसिफ अली बेग ने फिल्म की सिचूएशन के हिसाब से लिखे हैं, नासिर फराज़ के सभी गीतों के बोल उम्दा है। इस फिल्म में रितिक रोशन ने पहली बार एक गीत गाया भी है ‘‘काईट्स इन द स्काॅय’’, ‘‘जिन्दगी दो पल की’’, ‘‘दिल क्यों मेरा’’ और ‘‘तुम भी हो वही’’ यह तीनों गीत दर्शकों को काफी पसन्द आऐंगे। लगभग 140 करोड़ के बजट की इस फिल्म की पूरी शूटींग विदेश (न्यू मैक्सिको और लाॅस वैगास) में की गई है, और फिल्म की सभी लोकेशन्स काफी खूबसूरत लगती है जो कि फिल्म के सिनेमाटोग्राफर अन्यका बोस के अच्छे कैमरा वर्क के कारण है, इस फिल्म को विदेशी दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, पर निर्देशक ने फिल्म में कई सीन भारतीय दर्शकों के हिसाब से भी रखे है,पर फिल्म को विदेशीकरण और भारतीयकरण करने के चक्कर में निर्देशक न तो ठीक से इसे भारतीय फिल्म बना पाए और न ही यह विदेशी फिल्मों की तरह है, निर्देशक ने भारतीय और विदेशी फिल्म की एक खिचड़ी बनाने की कोशिश की पर अफसोस की यह खिचड़ी बे-स्वाद है, हाँ पर अगर आप रितिक रोशन के फेन है या फिर आप खूबसूरत बारबरा मोरी को देखना चाहते है, तो आप यह फिल्म देख सकते हैं, पर मेरे हिसाब से ऊँंची ऊड़ान भरने लायक नहीं हैं ‘‘काईट्स’’।


समीक्षक-अंकित मालवीय
ankkitmalviyaa@gmail.com

Thursday, May 13, 2010

BADMAASH COMPANY REVIEW


ON 7TH I WATCH "BADMAASH COMPANY"ITS A DEBU FILM OF PARMEET SETHI(ACTOR TURN DIRECTOR)AS A DIRECTOR.THE STORY,SCREENPLAY AND DIALOUGES ARE ALSO WRITTEN BY PARMEET SETHI,THE BEST THING ABOUT THIS FILM IS ITS STORY WHICH IS DIFFERENT AND NEW TOO,BUT ITS SCREENPLAY AND DIALOUGES ARE NOT SO GOOD,AND THE DIRECTION OF THE FILM IS ALSO WEAK,ITS A YOUTH OREAINTED FILM,ITS NOT A FAMILY FILM(AS WE ARE MOSTLLY THOUGHT THAT YASHRAJ FILMS MAKE A FILM UNER THERE BANNER THEN ITA A FAMILY FILM)THE MUSIC AND SONGS OF THIS FILM ARE NOT VERY GOOD THEY ARE SO SO,BUT I THINK THAT YOUNGESTERS LIKE THE SONGS LIKE"JINGLE JINGLE"AND"CHASKa nice wayA CHASKA" BUT ACCORDING TO ME "FAKIRA" IS A GOOD SONG WRITTEN BY ANVITA DUTT AND ITS A SITUATIONAL SONG WHICH IS NICELY SHOOTED TOO.NOW WHEN I COME TO ITS ACTORS I MUST TELL U THAT ITS ONE OF THE BEST PERFORMANCE OF SHAHID KAPOOR,HE IS SUPERB IN THE FILM,HE PLAYED HIS ROLE WITH FULL DEDICATION AND I AM SURE THAT U LIKE HIS PERFORMANCE,ANUSHAKA SHARMA IS OK SHE DONT HAVE TOO MUCH TO DO IN FILM,BUT MEIYANG CHANG IS SO GOOD HE ACTED SO WELL,PAWAN MALHOTRA ALSO DID A WONDERFULL JOB AS AN ACTOR,ANUPAM KHER AND KIREN JUNEJA ARE WONDERFULL IN THERE SCENES(MOSTALLY EMOTIONAL SCENES)BUT THERE IS NO NEED OF SMOOCHING AND HOT SCENES BETWEEN SHAHID KAPOOR AND ANUSHAKA SHARMA THERE IS NO NEED OF ALL THAT THE THE STORY OF FILM DOSENT HAVE ANY DEMAND OF SUCH SCENES,BUT I CN GUESS THAT DIRECTOR PARMEET SETHI ADD ALL THOS SCESES TO ATTRACT THE YOUTH.SO IF A FEW WORDS ABOUT "BADMAASH COMPANY"THEN I CAN SAY THAT IF U WANT TO SEE A NEW AND A DIFFERENT STORY THEN WATCH IT OR ELSE IF UR A SHAHID KAPOOR'S FAN THEN U CN ALSO WATCH IT FOR SEEING HIS SUPERB PERFORMANCE,I THINK THAT THIS FILM CAN BECOME MORE BETTER IF THE DIRECTOR DO MORE HARD WORK ON ITS SCREENPLAY,DIALOUGES AND DIRECTION TOO,SO IF U ALSO WATCH IT AND REPLY ME UR COMMENTS ABOUT THE FILM.THANKS,TAKE CARE BYE U CN MAIL ME COMMENT ABOUT MY REVIEW OF THIS AT MY MAIL ID.ankkitmalviyaa@gmail.com

Friday, April 30, 2010

HOUSE FULL REVIEW


TODAY I WATCH "HOSEFULL",AFTER SEENING THE PROMOS OF THIS FILM I DECIDED THT I WNT TO WATCH THIS FILM BCOZ AFTER SEENING THE PROMOS I HAVE A CONFIDENCE ABOUT THIS FILM THAT THIS IS A FULL AND COMPLETE ENTERTAINER,AND THANKS TO GOD THAT MY PREDICTION ABOUT THIS FILM IS RIGHT,"HOUSEFULL" IS A FULL OF ENTERTAINMENT EVEN I MUST SAY THT ITS A LAUGHFTER RIDE,AFTER SO LONG TIME I HAVE SEEN SUCH A GOOD COMEDY FILM,HAVING MANY COMEDY SEQUENCES,ACTING WISE I MUST SAY THAT ITS A COME BACK FILM FOR AKSHAY KUMAR,RITEISH DESHMUKH AGAIN PROVES THAT HE IS GROWING AS AN ACTOR HE DID A FANTASTISEC JOB,ARJUN RAMPAL AND CHUNKEY PANDEY R ALSO GOOD,JIYA KHAN IS OK,DEEPIKA PADUKONE ANDN LARA DUTTA ALSO DID GOOD JOB,AND HOW CN I FORGOT BOMAN IRANI N LILETTE DUBEY AS I KNOW THT THESE TWO ALWAYS DO THERE ROLE WITH FULL DEDICATION N HERE AGAIN THEY DID IT WITH FULL DEDICATION,ITS A ROMANTIC COMEDY FILM,SONGS R WRITTEN BY SAMEER,MUSIC BY SHANKAR,ESHAAN,LOY,BACKGROUND SCORE BY SANDEEP CHOWTHA IS ALSO GOOD,I AM SURE THT YOUTH LIKE THE SONGS N MUSIC OF THIS FILM SPECIALLY THE NUMERS LIKE"OH GIRL UR MINE","PAPA JAG JAYEGA","I DONT KNOW WHAT TO DO",DIALOGUES OF THE FILM ARE WRIEEN BY ANVITA DUTT GUPTAN AND SCREEN PLAY BY SAJID KHAN,MILAP ZAVERI,VIBHA SINGH AND BOTH DILOUGE WRITTERS AND SCREENPLAY WRITTER DID THERE JOB SO WELL,BUT ACCORDING TO ME THE CLIMEX SEQUENCE WHER ALL CHARACTER STARTS LAFUGHING IS NOT WELL AND ITS A WEEK SEQUENCE BCOZ IN THAT ONLY ACTORS ARE LAUFGHING IN THE FILM NO BODY IS LAUGHING IN CINEMA HALLS AT THAT TIME WHEN PEOPLE WATCHES THAT SEQUENCE.THIS ROMANTICE COMEDY FILM ALSO GIVES A GOOD MESSAGE TO OUR SOCIETY THAT ALWAYS SAY THE TRUTH AND NEVER LIE IN LIFE,LAST BUT NOT THE LEAST SAJID KHAN IS THE DIRECTOR OF THE FILM WHO MAKE ALL THE ABOVE THINGS POSSIBLE AND DID A SUPERB JOB AS HE MADE A COMPLETE ENTERTAINING FILM A TRUE COMEDY LAFGHTER RIDE,I MUST SAY TAHT "HOUSEFULL" DESERVES HOUSEFULL BOARD IN ALL HALLS.SO U ALSO WATCH IT AND REPLY ME UR COMMENTS ABUT THE FILM.THANKS,TAKE CARE BYE U CN MAIL ME COMMENT ABOUT MY REVIEW OF HOUSE FULL AT MY MAIL ID.ankkitmalviyaa@gmail.com