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Sunday, May 24, 2020

Ghoomketu Review

Ghoomketu Review
आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ फिल्म "घूमकेतु" से जुडी कुछ इंटरस्टिंग इनफार्मेशन और इस फिल्म का रिव्यू."घूमकेतु" का टीजर 15may को रिलीज़ हुआ था,जिसे देखकर मुझे लगा था की ये फिल्म शायद मज़ेदार होगी,पर जब 19may को मैंने इस फिल्म का ट्रेलर देखा तो वो मुझे पसंद नहीं आया,क्युकी वह कन्फुसिंग सा था.इस फ्राइडे "घूमकेतु" रिलीज़ हुए ज़ी5 के ओटीटी प्लेटफार्म पे,आजकल इंटरनेट पे बहुत से ओटीटी प्लेटफार्म हैं जैसे की अमेज़न प्राइम,नेटफ्लिक्स,हॉटस्टार और ज़ी5.अगर आप "घूमकेतु" को देखना चाहते हैं तो आपको zee5 का सुब्स्क्रिबशन लेना होगा या फिर आपके पास वोडाफोनआईडिया  की पोस्टपेड सिम हैं,तो वहाँ आपको zee5 फ्री मे मिल जाएगा.अब बात करते हैं फिल्म "घूमकेतु" की,तो मैं आपको बता दू की ये फिल्म 2014 में शूट कर ली गयी थी,पर इसको रिलीज़ होने में 6 साल लग गए,जब इस बारे में मैंने इस फिल्म के क्रू मेंबर से बात की और उनसे पूछा की इस फिल्म को रिलीज़ होने में इतना टाइम क्यों लग गया,तो मुझे फिल्म की टीम के मेंबर ने








बताया की फिल्म में बहुत सारे सब प्लाट होने के कारण फिल्म का एडिट लम्बा चला इसलिए इसको रिलीज़ होने में देर हो गयी.हालाँकि में उनकी इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता,क्युकी किसी भी फिल्म के एडिट में इतना टाइम नहीं लगता,हो सकता हैं वो क्रू मेंबर फिल्म लेट आने की असली वजह नहीं बताना चाहते होगे.हम अब इस फिल्म का रिव्यू करते हैं."घूमकेतु" कहानी हैं एक राइटर की जो up के गांव से मुंबई आता हैं और फिल्मों में बतौर राइटर काम पाने के लिए स्ट्रगल करता हैं,फिल्म में ये किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीके ने निभाया हैं.जब "घूमकेतु" अपने घर से भाग के मुंबई आता हैं तो उसका परिवार गांव मे उसके मिसिंग होने की रिपोर्ट लिखवाता है और उसको ढूढ़ने के लिए पुलिस पे पोलिटिकल प्रेशर डलवाता हैं.मुंबई मे "घूमकेतु" को ढूढ़ने का ज़िम्मा जिस पुलिस अफसर को दिया जाता हैं वह अफसर कर्रप्ट और एक नंबर का कामचोर हैं,वह इस केस में कोई इंटरेस्ट नहीं लेता,फिल्म में उस पुलिस वाले का रोल अनुराग कशयप ने किया हैं.जब उस पुलिस वाले को उसकी बॉस कहती हैं की वो 30  दिन में ये केस सॉल्व करे नहीं तो वो उसका ट्रांसफर कर देगी,जब जाकर वो "घूमकेतु" को सर्च करना शुरू करता हैं.वही दूसरी तरफ "घूमकेतु" के पास भी मुंबई में रहने का केवल 30 दिन का ही पैसा हैं,मतलब उसको भी 30 दिन में मुंबई में कोई न कोई काम ढूढ़ना हैं,जिससे वो मुंबई में टिका रह सके,आगे क्या होता हैं?क्या वो कर्रप्ट पुलिसवाला  "घूमकेतु" को ढूंढ पाता हैं?क्या "घूमकेतु" को मुंबई में बतौर राइटर फिल्मों में काम मिलता हैं?ये सब पता करने के लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी,मैं आपको फिल्म की पूरी कहानी बताकर सस्पेंस खत्म नहीं करना चाहता.इस फिल्म की कहानी में कोई नयापन नहीं हैं और इसका स्क्रीनप्ले तो और भी ख़राब हैं,क्युकी ये फिल्म "घूमकेतु" के स्ट्रगल की कहानी हैं पर आपको पूरी फिल्म में वह स्ट्रगल नहीं दिखता,फिल्म के कई ऐसे सीन्स हैं जिनका आपस में कोई लिंक नहीं,कभी फिल्म प्रेजेंट में होती हैं तो कभी अचानक फलेशबैक में चली जाती हैं,वैसे तो इस फिल्म को कॉमेडी फिल्म कहकर प्रमोट किया गया पर पूरी फिल्म में ऐसे सीन्स नहीं जिनको देखकर हंसी आए,हाँ फिल्म के किरदार ज़रूर आपस में हस्ते हैं पर उनको देखकर भी ऑडियंस को हसी नहीं आती उल्टा इर्रिटेशन होता हैं.कई जगह फिल्म में ऐसे किस्सों का इस्तेमाल भी किया गया हैं जो आप और हम पहले ही सोशल मीडिया पे जोक्स के तौर पे कई बार पढ़ चुके हैं,उनको देखकर भी बोरियत ही महसूस होती हैं.इस फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले इसके डायरेक्टर पुष्पेंदर नाथ मिश्रा ने लिखा हैं और दोनों ही काफी कमज़ोर हैं,फिल्म के डायलॉग्स भी उन्होंने ही लिखे हैं जो की बिलकुल भी इम्प्रेस नहीं करते,फिल्म का म्यूजिक स्नेह खानवलकर और जसलीन रॉयल ने दिया हैं जो बिलो एवरेज ही हैं,फिल्म में 3 गाने हैं और उनमे से एक भी अच्छा नहीं,इन गानों को भी पुष्पेंदर नाथ मिश्रा ने ही लिखा हैं,इनमे से एक आइटम नंबर भी हैं जिसके लिरिक्स और कोरयोग्राफी दोनों ही समझ से परे लगती हैं,फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक ज़ुबिन बालापोरिया का हैं जो की कामचलाऊ सा ही हैं,फिल्म में लोंगिनुस फर्नेंडेस की कोरयोग्राफी बेदम हैं,फिल्म में सतया राय नागपॉल का कैमरा वर्क ठीक-ठाक हैं,फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा हैं जिन्होंने फिल्म के लिए अच्छी कास्टिंग की हैं,फिल्म की एडिटिंग पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा और कृतिका अधिकारी की हैं जो की ख़राब हैं,अब बात करते हैं फिल्म के एक्टर्स की इस फिल्म में "घूमकेतु" की भूमिका नवाज़ुद्दीन सिद्ध्दीकी ने की हैं,वैसे तो नवाज़ एक अच्छे अभिनेता हैं पर इस फिल्म हैं उनकी एक्टिंग कुछ खास नहीं लगती,मेरे हिसाब इस फिल्म में उनकी एक्टिंग कमजोर हैं,वह अच्छे एक्टर होते हुए भी इस फिल्म में अच्छा काम नहीं कर पाए,वही अनुराग कशयप ने कर्रप्ट इंस्पेक्टर बदलनी के रोल बखूबी निभाया हैं,वो अपने रोल में बहुत ही नेचुरल लगे हैं,फिल्म में उनकी एक्टिंग सबसे अच्छी हैं,दर्शक उनको काम ज़रूर पसंद करेंगे,इस फिल्म में रघुवीर यादव भी हैं,रघुवीर यादव वैसे तो एक अच्छे अभिनेता हैं पर इस फिल्म के कई सीन्स में उन्होंने ओवर एक्टिंग की है और वह ज़रुरत से ज्यादा लाउड लगते हैं,वही फिल्म में ईला अरुण,स्वानंद किरकिरे,रज़ाक खान भी हैं और का ही काम बिलो एवरेज हैं,फिल्म में रागिनी खन्ना के पास करने के लिए कुछ था ही नहीं,फिल्म में दीपिका अमिन और बिजेंद्र काला का काम एवरेज हैं,फिल्म मे राजेंद्र सेठी ने प्रोडूसर के और बालाजी गौरी ने पुलिस कमिश्नर के छोटे रोल में भी अच्छा काम किया हैं.फिल्म मे आपको रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा भी स्पेशल अपीयरेंस  में दिखेंगे पर उनकी जगह किसी और को भी लिया जा सकता था,क्युकी उस सीन में और कोई भी होता तो फर्क नहीं पड़ता,फिल्म में चित्रांगदा सेन का भी स्पेशल अपीयरेंस हैं,जिसको उन्होंने अच्छे से निभाया हैं और उसमे वह सूंदर भी लगी हैं.अमिताभ बच्चन ने भी फिल्म में स्पेशल अपीयरेंस किया हैं और उनका काम एवरेज हैं,अब बात करते हैं फिल्म के डायरेक्शन की,इस फिल्म का डायरेक्शन पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा ने किया हैं,जो नेटफ्लिक्स के लिए ताज महल नाम की वेब सीरीज बना चुके हैं.उनकी ये डेब्यू फिल्म थी और उनका डायरेक्शन बेहद कमजोर था,उन्होंने फिल्म में सब अच्छे एक्टर्स को लिया पर उनसे अच्छा काम नहीं करवा सके,इस फिल्म का सब्जेक्ट ऐसा था जिसपे एक मज़ेदार कॉमेडी फिल्म बनाई जा सकती थी,पर पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा वो नहीं बना पाए,अगर आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो आप इस फिल्म को अनुराग कश्यप के काम और कास्टिंग डायरेक्टर की अच्छी कास्टिंग के लिए देख सकते हैं,उसके आलावा इसमें कुछ हैं भी नहीं,मैं इस फिल्म को 5 में से 1 स्टार दूंगा,अगर आपको मेरी "घूमकेतु" फिल्म की इनफार्मेशन और रिव्यू पसंद आया हो तो आप मेरे ब्लॉग अंकित मालवीय को लाइक और शेयर करना न भूले,अगर आपने ये फिल्म देखी,तो मुझे कमेंट करके बताये की आपको फिल्म कैसी लगी और मेरा रिव्यू  कैसा लगा,थैंक्स अलॉट फॉर गिविंग योर टाइम.

अंकित मालवीय 
Ankkit Malviyaa