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Saturday, July 31, 2010

ONCE UPON A TIME IN MUMBAAI REVIEW


निर्देशक-मिलन लुथरिया,निर्माता-एकता कपूर,शोभा कपूर,कहानी,संवाद, स्क्रीनप्ल-रंजत अरोरा,एडीटर-अविक अली,कला निर्देशक-नितिन चन्द्रकांत देसाई, एक्शन-अब्बास अली,कोरियोग्राफी-राजू खान,सिनेमाटोग्राफी-असीम मिश्रा, संगीतकार-प्रीतम,गीतकार-ईरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य ,निलेश मिश्रा

इस शुक्रवार ‘‘ वंस अपाॅन ए टाइम इन मुम्बई ’’ रिलीज हुई, यह फिल्म मुम्बई अण्डरवल्र्ड, अपराध ओैर स्मगलिंग(तस्करी) के विकास (ग्रोथ) को दर्शाती है,70के दशक में मुम्बई में किस तरह अपराध जगत पनपा यह इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। इस फिल्म की कहानी हाजी मस्तान, और दाऊद इब्राहिम(यह दोनों अपराधी 70-80 के दशक में मुम्बई अण्डरवल्र्ड का अहम् हिस्सा थे)इन दोनेां की जिन्दगी से प्रेरित है। लगभग 2 धण्टे 10 मिनट अवधि की यह फिल्म मुम्बई अण्डरवल्र्ड और उससे जुड़े हुए लोगों पर बनी अब तक की सभी फिल्मो ंसे जुदा है और सबसे बेहतर फिल्मों में से हेै, क्योंकि इस फिल्म में न तो ज्यादा मारपीट होती है और न ही ज्यादा गोली बारूद का इस्तेमाल किया गया, अपराध जगत और उससे जुडे होने के बावजूद भी इस फिल्म में न तो कोई अपशब्दों(गाली गलौच)का इस्तेमाल किया गया, और न ही कोई द्विअर्थी संवाद(डबल मिनिंग डायलाॅग)का,यह फिल्म अण्डरवल्र्ड औेर उससे जुड़े लोगों पर बनी है, फिर भी इसमें कोई अंतरंग दृश्य नहीं है, यह भी इस फिल्म की खासियत है।आइए अब बात करते है इस फिल्म के कलाकारों की,अजय देवगन,ईमरान हाशमी,कंगना राणावत,प्राची देशाई, और रणदीप हुडा, इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहें है, इनके अलावा अवतार गिल,आसिफ बसरा, गौहर खान,एमी किंग्स्टन,मास्टर हर्बी क्रेस्टो,ंमास्टर नमित दाहिया,भी फिल्म के अन्य किरदारों में है। इस फिल्म में अजय देवगन ने लाजबाव अभिनय किया, फिल्म में अजय की चाल ढाल उनकी आंखे, उनकी पूरी बाॅडी लैग्वेज, उनकी संवाद अदायगी,(डायलाॅग डिलेवरी)उनका लुक,सब कुछ परफेक्ट उस पत्र के हिसाब से है जिसे वह इस फिल्म में निभा रहें है, फिल्म मे अजय ने अपने पात्र को जिया है ओर फिल्म देखकर लगता हे कि फिल्म के लेखक ने इस पात्र को अजय देवगन को ध्यान मे ंरखकर ही लिखा है, ओैर अजय ने उस पात्र के साथ पूरा न्याय भी किया है,फिल्म में अजय को देखकर लगता है कि अगर कोई ओर अभिनेता इस पात्र को निभाता तो वह उसे उतनी शिद्वत्त के साथ नहीं निभा पाता जो कि अजय ने निभाया है इस फिल्म में अजय के अभिनय के लिए मैं उनकी जितनी भी तारीफ करू वह कम ही होगी, क्योंकि फिल्म में अजय ने अद्भूत अभिनय किया है,फिल्म मे ंईमरान हाशमी का अभिनय ठीक-ठाक है, कंगना रानावत और प्राची देसाई दोनों ने फिल्म में अच्छा अभिनय किया है, कगना फिल्म में 70-80 के दशक की अभिनेत्री बनी है, और वह उस किरदार में जचती है फिल्म में रणदीप हुड्डा एक एर्गी पुलिस आफिसर के रोल में है, ओर यह उनकी अब तक आई फिल्में में से यह उनकी एक सर्वश्रेष्ठ परमारमेन्स है उन्होनें इस फिल्म में अच्छा अभिनय किया है, फिल्म के अन्य कलाकारों में अवतार गिल(गृह मंत्री के पात्र में)आसिफ बसरा(ईमरान हाशमी के पुलिस इंस्पेक्टर पिता के पात्र में),मास्टर हर्बी (अजय देवन के बचपन के पात्र में),मास्टर नमित दाहिया(इमरान हाशमी के बचपन के पत्र में) ने फिल्म में उम्दा अभिनय किया है। आईये अब बात करते है इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म में पाॅच गाने है,फिल्म में प्रीतम का संगीत है, फिल्म के गीत ईरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य, निलेश मिश्रा,ने लिखे है। इस फिल्म का गीत संगीत ठीक ठाक है पर फिल्म का एक गीत ‘‘ पी लू ‘‘ जिसे ईरशाद कामिल ने बेहद उमदा लिखा है और मोहित चोैहान ने उसे उतने ही सुरले अंदाज में गाया भी है, युवाओं की जुवान पर चढ़ जाएगा,70-80 के दशक पर बनी इस फिल्म का बे्रकग्राउण्ड स्कोर संदीप शिरोडकर ने तैयार किया है ओैर फिल्म में उनका बैकग्राउण्ड म्युजिक हमें उस दशक के संगीत की याद दिलाता है, फिल्म के सेट नितिन चन्द्रकान्त देसाई के है और उन्होनें बखूबी उन्हें तैयार किया है, जिसके कारण आपको लगेगा कि यह फिल्म 70-80 के दशक में बनी फिल्म होने का एहसास कराती है,फिल्म के सिनेमाग्राफर असिम मिश्रा का कैमरावर्क तारिफे काबिल है,इस फिल्म के एडिटर आविक अली ने कमाल की एडिटिंग की है, जिसके कारण फिल्म कभी भी बोरिंग नहीं लगती,इस फिल्म का स्क्रीनप्ले,सटोरी और संवाद रंजत अरोरा के है, ओर रंजत के बड़िया स्क्रीनप्ले के कारण ही यह पूरी फिल्म आपको बाधकर रखती है और उस 70-80 के दशक में ले जाती है, फिल्म के संवाद भी रजत ने लिखे है, और फिल्म के सभी संवाद एक से बढ़कर एक है, और उन्होंने सभी संवाद फिल्म के किरदार के हिसाब से एकदम सटीक लिखे है, जैसे अजय के किरदार का संवाद ’’ दुआ में याद रखना ’’ आइए अब बात करते है इस फिल्म के निर्देशक मिलन लथुरिया की, यह मिलन की छटवी फिल्म है, इससे पहले वह ‘‘ कच्चे धागे ’’ (1999), ‘‘ दीवार ’’(2004), ‘‘ टैक्सी नम्बर नौ दो ग्यारह’’ ’’ (2006) जैसी उम्दा और सफल फिल्में का निर्देशन कर चुके है, और यह फिल्म उनकी अब तक निर्देशित फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ फिल्म है ओर उन्होनें इस फिल्म को बनाने के लिए इस फिल्म के लेखक और पठकथ लेखक ( स्क्रीनप्ले राइटर) रजत अरोरा, के साथ 70-80 के दशक और अंडरवल्र्ड का गहरा अध्ययन ( रिसर्च ) किया होगा, यह बात फिल्म देखकर कहीं जा सकती है, इस फिल्म के कास्टयूम डिजाइनर, मैकपमैन, हेयर ड्रेसर, केैमरा मैन, स्क्रीनप्ले ,स्टोरी, डायलाग राईटर, एडीटर, सभी ने मिलन के उम्दा निर्देशन के कारण ही उम्दा काम किया है, और इसीलिए यह एक अच्छी और साफ सुथरी फिल्म बनी है जिसे हर वर्ग के दर्शक अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते है।
समीक्षक-अंकित मालवीय
Email id-ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, July 17, 2010

LAMHAA REVIEW


''लम्हा का हर लम्हा छूता है ''

निर्देशक-राहुल ढोलकिया,निर्माता-बंटी वलिया,जसप्रीतसिंग वालिया,स्क्रीनप्ले-राघव धर,राहुल ढोलकिया,संवाद-साई कबीर,अश्वत भट्‌ट,गीतकार-सईद कादरी,संगीतकार-मिथुन,बैकग्राउण्ड म्युजिक-सन्जाय चौधरी,सिनेमाटोग्राफर-जेमस,एडीटर-अश्मित कुन्दर,अक्षय मोहन।

इस शुक्रवार तीन फिल्मे '' लम्हा '','' तेरे बिन लादेन '' और '' उड़ान '' रिलीज हुई, इन तीनों फिल्मों में से मुझे किसी एक फिल्म को चुनना था, तो मैने ''लम्हा'' को चुना,क्योंकि इसके निर्देशक राहुल ढोलकिया है,क्योंकि वह ''लम्हा '' से पहले ''परजानिया ''(2005)जैसी उम्दा फिल्म का निर्देशन कर चुके है, इसलिए मुझे उनके द्वारा निर्देशित फिल्म '' लम्हा '' से काफी उम्मीद थी, ओंर यह फिल्म मेरी उम्मीदों पर खरी भी उतरी, आइए अब बात करते है ''लम्हा '' की,'' लम्हा'' कश्मीर की, वहां के लोगों की, वहां की राजनीति की,अफसरों की (सेना के अफसर)और आतंकवादियों की, कहानी है जिसमें कश्मीर में क्या क्या घटi और क्या घट रहा है, बडे ही करीब से दिखाया गया, फिल्म कश्मीर घाटी की सच्चाई बयां करती है''लम्हा''।'' लम्हा '' में संजय दत्त ने अपने पात्र को बखूबी निभाया है, बिपाशा बासु ने फिल्म में गजब का अभिनय किया है और फिल्म में कुनाल कपूर का अभिनय भी सराहनीय है, इनके अलावा अनुपम खेर, शेरनाज, पटेल यशपाल, शर्मा, विपिन शर्मा, विश्वजीत प्रधान, मुरली शर्मा, महेश मानजरेकर और ज्योति ने भी फिल्म में अहम किरदार निभाया है, और सभी कलाकारों का अभिनय अच्छा है, '' लम्हा '' की सबसे बडी खासियत है इस फिल्म के दमदार संवाद, इस फिल्म के सभी संवाद (डायलाग्स ) एक से बढकर एक है,सांई कबीर और अश्वत भटट ( फिल्म के संवाद लेखक ) की मैं उनके द्वारा लिखे संवादों के लिए जितनी भी तारीफ करू वह कम ही होगी, फिल्म का गीत संगीत भी कमाल का है, और फिल्म के सभी गीत फिल्म की कहानी का हिस्सा है जो कि आपके दिल को छूते है, इस फिल्म के गीत सईद कादरी ने लिखे है और उनकी कलम में कमाल का जादू है, वैसे तो फिल्म के सभी गीतों के बोल अच्छे है पर सईद कादरी द्वारा लिखा '' मदनो '' जिसे क्षितिज और चिन्मयी ने बेहद सुरीले अंदाज में गाया है, आपको सबसे ज्यादा पसंद आएगा, इस फिल्म में मिथुन ने बेहद उम्दा संगीत दिया है, फिल्म का बैकग्राउण्ड म्युजिक जो कि सनजाय चौधरी ने दिया हैं अच्छा बन पडा है, इस फिल्म में कश्मीर की खूबसूरत वादिया, आपको जरूर पसंद आयेगी, क्योंकि फिल्म के सिनेमाटोग्राफर(जेम्स) ने कश्मीर घाटी को बेहद खूबसूरती के साथ फिल्माया है फिल्म का गीत '' मदनों '' देखकर आप उसमे खो जायेगे, इस फिल्म का स्क्रीनप्ले भी अच्छा है इस फिल्म को देखकर कहा जा सकता है कि इस फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया, और उनकी टीम ने इस फिल्म को बनाने से पहले कश्मीर घाटी और उससे जुडे सभी पहलुओं का गहरा अध्ययन (रिसर्च) किया होगा इस फिल्म के बेहतरीन संवाद, अच्छे गीत, संगीत, लाजबाव सिनेमाटोग्राफी और सभी कलाकारों की अच्छी अदायगी इस सब बातों का श्रेय फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया को जाता है, क्योंकि उनके उम्दा निर्देशन के कारण ही यह फिल्म इतनी उम्दा और सार्थक बनी है ।'' लम्हा '' कश्मीर पर अब तक बनी सभी फिल्मों में सबसे अलग और सबसे बेहतरीन और सार्थक फिल्मों में से एक है फिल्म है।मेरी आप सभी से गुजारिश है कि आप इस फिल्म को जरूर देखें क्योंकि '' लम्हा '' का हर लम्हा आपको छू जायेगा,ऐसा मेरा विश्वास है।

समीक्षक-अंकित मालवीय
e-mail id-ankkitmalviyaa@gmail.com

Friday, July 9, 2010

MILENGE MILENGE REVIEW


‘‘ मिलेंगे-मिलेंगे‘‘ को दर्शक तो नहीं मिलेंगे।
निर्माता-बोनी कपूर, निर्देशक-सतीश कौशिक, संगीतकार-हिमेश रेशमिया, सिनेमाटोग्राफी-एस.श्री राम, लेखक- शिराज़ अहमद, गीतकार-समीर, एडीटर-संजय शर्मा
इस शुक्रवार जो फिल्म ‘मिलेंगे मिलेंगे‘ रिलीज हुई, दर्शकों को इस फिल्म के रिलीज होने का इन्तज़ार था, और वह इन्तज़ार इसलिए नहीं था कि उन्हें इस फिल्म के प्रोमो पसन्द आए, बल्कि इसलिए था क्योंकि यह शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म है, और इससे पहले फिल्म ‘‘जब वी मेट‘‘ (2007) में दर्शकों ने इनकी जोड़ी और काम को बेहद पसन्द किया था। वैसे तो शाहिद और करीना ने ‘‘फिदा‘‘ (2004), ‘‘36 चाईना टाउन‘‘ (2005), ‘‘चुप-चुप के‘‘ (2006) जैसी फिल्मों में एक साथ काम किया, पर दर्शकों ने इनकी जोड़ी को सबसे ज़्यादा ‘‘जब वी मेट‘‘ के लिए ही सराहा, और उस समय यह दोनों रियल लाईफ (असल ज़िन्दगी) में भी एक दूसरे से प्यार करते थे, और उनके अलग होने के कुछ साल बाद अब रिलीज़ हुई उनकी यह फिल्म ‘‘मिलेंगे-मिलेंगे‘‘। वैसे तो यह फिल्म उस समय बनी जब इन दोनों (शाहिद-करीना) का प्रेम अपने चरम पर था पर कई कारणों से इस फिल्म को रिलीज़ होने में लगभग छः साल लग गए, आज ये दोनों (शाहिद-करीना) अलग हो चुके हैं, और आगे यह कभी साथ में फिल्म करेंगे या नहीं यह बात किसी को नहीं पता (शायद इनको भी नहीं पता होगा) इसलिए भी दर्शक इनकी जोड़ी को देखने के लिए इस फिल्म को देखना चाहते थे। आईए अब बात करते हैं इस फिल्म की , ‘‘मिलेंगे-मिलेंगे‘‘ एक लव स्टोरी है, जिसकी स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलाग्स में कोई भी नयापन नहीं है। यह फिल्म हालीवुड फिल्म ‘‘सिरेडीपिटी‘‘ का रिमेक है और इस तरह की कहानी, संवाद हम पहले भी कई हिन्दी फिल्मों में देख चुके हैं। यह फिल्म लगभग 2004 से बन रही है, अगर यह सही समय पर बनकर रिलीज़ होती तो यह शाहिद करीना की पहली फिल्म होती, आइए अब बात करते हैं इस फिल्म के गीत संगीत की इस फिल्म के गीतकार हिमेश रेशमिया हैं, और फिल्म के गीत समीर ने लिखे हैं, पर फिल्म के गीत और संगीत दोनों में ही दम नहीं है। शाहिद कपूर और करीना कूपर की इस फिल्म में न तो शाहिद के अभिनय में दम है और न करीना के अभिनय में, दोनों को देखकर लगता है कि यह इनकी उस समय की फिल्म है, जब उन्हें अभिनय करना ठीक से आता ही नहीं था (वैसे यह फिल्म उस वक्त ही बनी थी)। इनके अलावा किरण खेर, सतीश कौशिक, सतीश शाह, डेल्नाज़ पाल, हेमन्त पान्डे, विजय कश्यप और तनाज़ ईरानी ने भी इस फिल्म में अभिनय किया है, पर फिल्म में सतीश कौशिक (जो कि इस फिल्म के निर्देशक भी हैं) ने कमाल का अभिनय किया है, बतौर सेल्समेन विजय कश्यप ने भी उम्दा अभिनय किया है, हेमन्त पान्डे ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया है, तनाज़ ईरानी फिल्म के कुछ ही सीन्स में है, पर उनका काम अच्छा है। आईए अब बात करते है इस फिल्म के निर्देशन की इस फिल्म के निर्देशक सतीश कौशिक इससे पहले भी ‘‘हम आपके दिल में रहते हैं‘‘, ‘‘हमारा दिल आपके पास है‘‘, ‘‘मुझे कुछ कहना है‘‘ और ‘‘तेरे नाम‘‘ जैसी कुछ उम्दा और सफल फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं, पर उनकी इस फिल्म में कुछ भी दम नहीं है, कहानी, अभिनय, गीत-संगीत और निर्देशन हर लिहाज़ से यह एक बेहद कमजोर फिल्म है। इसलिए मुझे नहीं लगता की ‘‘कुछ तो बाकी है‘‘ और मेरे हिसाब से ‘‘मिलेंगे-मिलेेंगे‘‘ को दर्शक मिलेंगे इस बात की मुझे तो ज़रा भी उम्मीद नहीं है, पर अगर आज शाहिद और करीना को साथ में देखना चाहते हैं, तो इस फिल्म को देख सकते हैं।


समीक्षक-अंकित मालवीय
E-mail ID: ankkitmalviyaa@gmail.com

Saturday, July 3, 2010

I HATE LUV STROYS REVIEW


बिना स्टोरी की फिल्म है ‘‘आइ हेट लव स्टोरीज़’’
लेखक, निर्देशक - पुनीत मल्होत्रा, निर्माता - हीरू जौहर, करण जौहर, रोनी स्क्रूवाला, सिनेमाटोग्राफी - अन्यका बोस, संगीतकार- विशाल शेखर गीतकार -अन्विता दत्त, कुमा,र विशाल डडलानी, एडीटर - अविक अली, कोरियोग्राफी - बास्को-सीज़र, कास्टयूम - मनीष मल्होत्रा
इस शुक्रवार आइ हेट लव स्टोरीज ‘‘ रिलीज हुई, इस फिल्म के प्रोमो बहुत अच्छे थे, ओर यही कारण है कि दर्शक ( खासतौर से युवा वर्ग ) इस फिल्म को देखने के लिए बैचेन थे, इमरान खान, और सोनम कपूर अभीनीत इस फिल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा है, इससे पहले उन्होनें ‘‘ कभी खुशी कभी गम ’’ (2001ं) ‘‘ कल हो न हो ’’ (2003ं) जैसी उम्दा और सफल फिल्मों में करण जौहर के साथ बतौर करण जौहर के सहायक काम किया है। ‘‘ आइ हेट लव स्टोरीज़ ’’ एक रोमांटिक फिल्म है, जिसमें आपको कई पुरानी सफल रोमांटिक फिल्मों की झलक दिखेगी। इस फिल्म में कई पुरानी सफल रोमांटिक फिल्मों के दृश्यों और उन्हे बनाने वालों का मजा़क भी उड़ाया गया है और उसकी मदद से काॅमेडी पैदा करने की कोशिश की गई है, पर फिल्म के कुछ ही सीन्स जहां पुरानी रोमांटिक फिल्मों ओर उनको बनाने वालों का मजाक उड़ाकर कामेडी क्रिएट करने की कोशिश की गई है, हंसी आती है, पर ऐसे सभी दृश्यों ,पर हंसने का मन नहीं करता है, इस फिल्म की कहानी में कोई भी नयापन नहीं है। हम सब यह कहानी पहले भी कई फिल्मों में देख चुके है, फिल्म का स्क्रीन प्ले भी काफी कमजोर है। जिसके कारण दर्शक बीच बीच में बोर होने लगते हेै। सभी सफल रोमांटिक फिल्मों को उनके डाॅयलाक्स के लिए याद किया जाता है पर इस फिल्म में ऐसा कोई भी संवाद (डायलाॅग) नहीं है जो कि दर्शकों की जुबान पर चढ़ जाए। इस फिल्म के संवादों मे कोई भी दम नहीं है, रोमांटिक फिल्मों की खासियत होती है उनके दमदार इमोश्नल सीन्स, इस फिल्म में कई इमोश्नल सीन्स तो है, पर वह बेहद कमजोर है ओर उनमें इमोश्नस की कमी है, जिसके कारण उन्हें देखकर दर्शकों के मन मंें भी कोई भावना (इमोश्न ) पैदा नहीं होती है, क्योकि अच्छे इमोश्नल दृश्यों को देखकर तो उन्हें देखने वाले भी उनसे जुड जाते है और उनकी आंखे नम हो जाया करती है, पर इस फिल्म के इमोश्न दृश्यों मे वो ताकत नहीं है कि दर्शकों के आसू छलक जाए, आईए बात करते है इस फिल्म के गीत संगीत की। इस फिल्म में कुल 5 गाने हेै जिन्हें अंन्विता दत्ता, कुमार और विशाल डडलानी ने लिखा है ओैर फिल्म में विशाल-शेखर का संगीत है, ’’ जब मिला तू ’’, ‘‘ बिन तेरे ’’, ‘‘ आई हेट लव स्टोरीज ’’, सदका ’’, ‘‘बहारा ’’ फिल्म के इन सभी गीतों के बोल उमदा है और संगीत भी अच्छा है, इस फिल्म के एक गीत ‘‘ बहारा ’’ को श्रेया घोषाल ने गाया है, ओर उन्होनें इस गीत को कमाल का गाया है, उनकी आवाज में गाया गया यह गाना मिश्री के रस की तरह है ओैर यह श्रेया का ही जादू है कि यह गीत उनकी मिश्री की तरह मीठी आवाज के कारण बहुत अच्छा लगता है, इस फिल्म के कोयोग्राफर बाॅस्को सीजर ने फिल्म के टाईटल साग ‘‘ आइ हेट लव स्टोरीज ’’ को अच्छी तरह कोरियोग्राफ किया है, इस गाने के डान्स स्टेप्स युवाओं के जरूर पसंद आएगे, आईए, अब बात करते है इस फिल्म के कलाकारों की, इस फिल्म में इमरान खान और सोनम कपूर मुख्य भूमिका में है, ओैर दोनों की जोड़ी अच्छी लगती है, इमरान ने फिल्म में कुछ दृश्यों में अच्छा अभिनय किया है। पर फिल्म के कुछ सीन्स में वे नकली एक्टिंग और ओवर एक्टिंग करते है। सोनम कपूर ने अच्छा अभिनय किया है, ओैर फिल्म में वह इमरान से बेहतर लगती हेै। फिल्म के बाकी कलाकारों, समीर दत्तानी, समीर सोनी, केविन देव, खुशबू, श्राफ, ब्रुना अब्दुल्ला , केतकी देव, अन्जु महेन्दू, शिरिष शर्मा, असीम तिवारी, आमिर अली ओैर पूजा घई है, इनमें से समीर दत्तानी ठीक-ठाक लगते है, समीन सोनी ने फिल्म में एक फिल्म निर्देशक ( जो कि करण जौहर और संजय लीला भंसाली की तरह लगता है, ) का किरदार बडे ही उमदा तरीके से निभागया हेै। फिल्म में आमिर अली ( जो कि एक स्टार बने है ) का भी काम अच्छा है, केविन देव ने फिल्म में इमरान खान के दोस्त के पात्र को बखूबी निभाया है । आइए अब बात करते है फिल्म के निर्देशन की , इस फिल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है जिसे उन्होने ही लिखा है, इस फिल्म की कहानी कमजोर है, स्क्रीन प्ले भी दमदार नहीं है। पुनीत का निर्देशन भी कमजोर हेै, जिसके सभी पहलुओं का जिक्र मेंै ऊपर कर ही चुका हूॅ, वैसे तो, ‘‘आइ हेट लव स्टोरीज़’’ एक बेहद ही कमजोर फिल्म है, इसलिए दर्शक इसे पसंद करें इस बात की उम्मीद कम ही है, पर अगर आप इमरान खाॅन और सोनम कपूर की खूबसूरत जोडी ओैर अच्छे गीत संगीत को देखना चाहते है तो आप इस फिल्म को देख सकते हेै।
समीक्षक - अंकित मालवीय
E mail id:-ankkitmalviyaa@gmail.com
plz post ur comment abut this review n film,thanks,god bless,bye